AI से खतरे में रोजगार, ड्राइवरों और वकीलों पर पड़ेगा असर: सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कारण विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। अदालत ने चेतावनी दी कि एआई के तेजी से विकास से बड़े पैमाने पर नौकरियां समाप्त हो सकती हैं।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने की मांग की गई थी। इस दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि एआई के कारण ड्राइविंग नौकरियों का भविष्य खतरे में है और यदि सरकार एआई आधारित ऑटोमेशन के प्रभावों पर विचार किए बिना इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देती है, तो हजारों ड्राइवर बेरोजगार हो सकते हैं।

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अदालत ने कहा, “हमारी चिंता यह है कि एआई ड्राइवरों की नौकरियों को समाप्त न कर दे। भारत में ड्राइवर बनना आजीविका का एक बड़ा साधन है।”

इस मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रस्तुतियाँ देते हुए तर्क दिया कि सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद और उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक समग्र नीति लागू करनी चाहिए, क्योंकि देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में यह भी कहा कि अब वकील भी एआई से चुनौती महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अब ऐसे टूल्स आ गए हैं जो कानूनी राय दे सकते हैं। कुछ ही महीनों में हमने अत्यंत विकसित एआई मॉडल्स देखे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका जैसे देशों में एआई आधारित लीगल टूल्स का तेजी से उपयोग हो रहा है और भारत को भी इसके प्रभावों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।

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अदालत की टिप्पणियाँ व्यापक सामाजिक चिंता को दर्शाती हैं कि एआई का प्रभाव केवल श्रमिक वर्ग ही नहीं, बल्कि पेशेवर वर्ग पर भी पड़ सकता है। कंटेंट राइटिंग, कंसल्टिंग और अन्य नॉलेज-बेस्ड सेवाएं भी एआई से बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही हैं, जिससे नीति निर्माताओं और उद्योग जगत में सुरक्षा उपायों की मांग बढ़ रही है।

प्रशांत भूषण ने इस दौरान यह भी कहा कि भारत के 15 में से 14 सबसे प्रदूषित शहर हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की तात्कालिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चार्जिंग स्टेशन की अनुपलब्धता बड़ी बाधा है, जो अभी औसतन 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर सरकार खुद पहल नहीं करेगी, तो बाकी विभाग कैसे आगे बढ़ेंगे?”

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सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अदालत से सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 14 मई निर्धारित की है।

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