दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी व्यवसायी श्रवण गुप्ता की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) को रद्द करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की और उनके वकील की ओर से की गई अगली तारीख की मांग को अस्वीकार करते हुए मामले पर निर्णय सुरक्षित रख लिया। ईडी के अनुसार, गुप्ता वर्ष 2019 में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद लंदन चले गए थे। अगस्त 2020 में विशेष पीएमएलए अदालत ने उनके खिलाफ “ओपन-एंडेड” NBW जारी किया था और अगस्त 2023 में इंटरपोल रेड नोटिस भी जारी किया गया।
ईडी ने फरवरी 2022 में इस मामले में एक पूरक आरोपपत्र दाखिल कर श्रवण गुप्ता को आरोपी बनाया था और उनकी ₹21 करोड़ की संपत्तियां अटैच की थीं। गुप्ता के खिलाफ एक अन्य मनी लॉन्ड्रिंग केस में ₹180 करोड़ से अधिक की राशि शामिल है।

गुप्ता के वकीलों ने अदालत को बताया कि वह स्वास्थ्य कारणों से इस समय भारत नहीं आ सकते, लेकिन जांच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होने को तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने अलग से अनुमति की मांग करते हुए एक आवेदन भी दाखिल किया है।
हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता के वकीलों की ओर से बार-बार तारीख मांगे जाने पर नाराजगी जताई और इसे अनुचित आचरण बताया।
गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल चिकित्सा समस्याओं के कारण देश नहीं आ पा रहे हैं और कानूनन उन्हें वर्चुअल माध्यम से जांच में शामिल होने की अनुमति मिल सकती है।
ईडी का आरोप है कि गुप्ता ने कुछ विदेशी कंपनियों का नियंत्रण अपने पास रखा और इन्हीं के जरिए करीब ₹28.69 करोड़ की अवैध रकम (यूरो और अमेरिकी डॉलर में) प्राप्त की गई, जो अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में मिले कथित कमीशन (किकबैक) की रकम थी।
ईडी का यह भी कहना है कि गुप्ता ने उस समय ईमार एमजीएफ लैंड लिमिटेड के एमडी और वाइस चेयरमैन रहते हुए इस घोटाले के अन्य आरोपियों गौतम खेतान और गुइडो हैश्के के साथ मिलकर विदेशी कंपनियां बनाई और उन्हीं के जरिए घोटाले की रकम को ‘लॉन्डर’ किया।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 1 जनवरी 2014 को फिनमेकनिका की ब्रिटिश सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से किए गए 3,600 करोड़ रुपये के अनुबंध को रद्द कर दिया था। यह सौदा 12 वीवीआईपी AW-101 हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए था, जिसे रिश्वतखोरी और अनुबंध उल्लंघन के आरोपों के चलते रद्द किया गया।