नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति ने संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद अधिवक्ता श्री अरुण कुमार को इलाहाबाद हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया है।
यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा 9 मई 2023 को उनके नाम की पुनः अनुशंसा किए जाने के बाद संभव हुई। कोलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि अरुण कुमार “पूर्णतः उपयुक्त और योग्य” हैं।
नियुक्ति की प्रक्रिया और विलंब

इलाहाबाद हाईकोर्ट कोलेजियम ने 2 सितंबर 2022 को उनके नाम की अनुशंसा की थी। इसके बाद 17 जनवरी 2023 को तब के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की पीठ ने इस प्रस्ताव पर विचार किया, लेकिन खुफिया ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट के कारण इसे स्थगित कर दिया।
कोलेजियम ने स्पष्टता के लिए आईबी से कहा कि वह अपनी रिपोर्ट में किए गए निष्कर्षों के समर्थन में ठोस सामग्री उपलब्ध कराए। लेकिन 1 फरवरी 2023 को आईबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसके पास पहले दी गई जानकारी के अतिरिक्त कोई नया इनपुट नहीं है।
पुनर्मूल्यांकन और अंतिम निर्णय
9 मई 2023 को कोलेजियम ने पुनर्मूल्यांकन कर यह पाया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों ने अनुशंसा से सहमति जताई है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के चार परामर्शी न्यायाधीशों में से तीन ने अरुण कुमार को उपयुक्त बताया, जबकि एक ने कोई राय नहीं दी।
कोलेजियम ने उनके पेशेवर अनुभव पर भी भरोसा जताया। लगभग 51 वर्षीय कुमार के पास बार में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने संवैधानिक, सिविल और राजस्व संबंधी मामलों में महत्वपूर्ण कार्य किया है। साथ ही, वे आय मानदंड पर भी खरे उतरते हैं।
कोलेजियम ने कहा, “उपरोक्त तथ्यों और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि आईबी के पास कोई अतिरिक्त या सत्यापन योग्य जानकारी नहीं है, उम्मीदवार उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद के लिए पूर्णतः उपयुक्त और योग्य हैं।”
इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय कोलेजियम की अनुशंसा पर दो साल से अधिक की देरी के बाद राष्ट्रपति ने अधिवक्ता अरुण कुमार की इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी।