इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2025 में ओबीसी अभ्यर्थियों की अयोग्यता पर यूपी लोक सेवा आयोग से मांगा जवाब, कट-ऑफ से जुड़ा है मामला 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2025 के परिणामों को लेकर उठे विवाद में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने आयोग और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह मामला उन ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) अभ्यर्थियों से जुड़ा है, जिन्हें सामान्य श्रेणी (General Category) की कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद मुख्य परीक्षा (Mains) के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने मनीष कुमार और तीन अन्य अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी, 2026 की तारीख तय की है।

क्या है पूरा मामला? 

याचिकाकर्ताओं ने पीसीएस (सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा) प्रारंभिक परीक्षा 2025 और सहायक वन संरक्षक (ACF) प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को चुनौती दी है। आयोग ने इन परीक्षाओं के लिए 20 फरवरी, 2025 को विज्ञापन जारी किया था और इसी साल परीक्षाएं आयोजित की गई थीं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने M3M समूह को अनंतिम रूप से अटैच की गई संपत्ति के स्थान पर दूसरी संपत्ति देने की अनुमति दी, ईडी की शर्तों के अधीन

सुनवाई के दौरान याचियों के अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ओबीसी श्रेणी से आते हैं। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आने पर यह सामने आया कि सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित कट-ऑफ अंक याचिकाकर्ताओं द्वारा प्राप्त अंकों से कम थे। इसके बावजूद, आयोग ने इन मेधावी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की सूची से बाहर कर दिया।

दलील: माइग्रेशन नियमों का उल्लंघन 

अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल ने तर्क दिया कि यह कदम आरक्षण अधिनियम और माइग्रेशन नियमों (Migration Rules) की मंशा के खिलाफ है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार, यदि आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार बिना किसी विशेष छूट (जैसे आयु सीमा) का लाभ लिए सामान्य श्रेणी की कट-ऑफ के बराबर या उससे अधिक अंक हासिल करता है, तो उसे सामान्य श्रेणी में समायोजित किया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि आयोग ने इन नियमों का पालन नहीं किया, जिससे अधिक अंक लाने वाले ओबीसी अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा से वंचित हो गए, जबकि उनसे कम अंक वाले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए।

READ ALSO  कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीरभूम एसपी को अनुव्रत मंडल मामले में NCW के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया

कोर्ट का निर्देश 

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग के अधिवक्ताओं को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने प्रतिवादी पक्ष को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है, जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि अधिक अंक होने के बावजूद इन अभ्यर्थियों को अयोग्य क्यों ठहराया गया।

READ ALSO  मणिपुर हाईकोर्ट में नियुक्त होंगी पहली आदिवासी महिला न्यायाधीश
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles