मुंबई में लगातार खराब होती हवा की गुणवत्ता को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को नगर निकाय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने साफ किया कि वह शहर में विकास या निर्माण गतिविधियों को रोकने के पक्ष में नहीं है, लेकिन वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए नियमों का सख्ती से पालन अनिवार्य है।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखाड़े की पीठ ने कहा कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) अब तक प्रदूषण नियंत्रण मानकों को लागू कराने में नाकाम रहे हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर अभी ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो हालात काबू से बाहर हो सकते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य या विकास कार्यों को बंद करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पीठ ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो बाद में स्थिति संभालना संभव नहीं रहेगा।
यह सुनवाई उन याचिकाओं के समूह पर हो रही थी, जिनमें मुंबई में लगातार गिरते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। अदालत के निर्देश के बाद बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी और एमपीसीबी के सचिव देवेंद्र सिंह मंगलवार को अदालत में पेश हुए।
अदालत ने अधिकारियों से समाधान सुझाने को कहते हुए कहा कि केवल औपचारिकताएं निभाने से काम नहीं चलेगा। पीठ ने याद दिलाया कि अधिकारी होने के साथ-साथ वे भी इस शहर के नागरिक हैं और उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करें।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्माण स्थलों पर काम कर रहे मजदूरों की दयनीय हालत पर भी चिंता जताई। अदालत ने कहा कि जीवन का अधिकार हर व्यक्ति को प्राप्त है, चाहे वह गरीब ही क्यों न हो। पीठ ने एमपीसीबी से पूछा कि क्या निर्माण स्थलों पर काम करने वाले श्रमिकों की सेहत को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। अदालत ने टिप्पणी की कि कम से कम उन्हें मास्क जैसी बुनियादी सुरक्षा तो दी ही जानी चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
एमपीसीबी की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मुद्दे पर सुझाव बुधवार को पेश किए जाएंगे।
अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि बीएमसी और एमपीसीबी को अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या नगर आयुक्त खुद मौके पर जाकर औचक निरीक्षण करते हैं और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।
बीएमसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस यू कामदार ने अदालत को बताया कि निगम ने नवंबर से अब तक नियमों के उल्लंघन पर 433 शो-कॉज नोटिस जारी किए हैं और 148 मामलों में निर्माण कार्य रोकने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने संकेत दिया कि इस मामले में आगे भी सख्त निगरानी जारी रहेगी।

