आवारा कुत्तों के नियमों पर सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट बोला—अगली तारीख पर पूछेंगे, ‘मानवता क्या है’

आवारा कुत्तों के प्रबंधन से जुड़े नियमों को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिलहाल सुनवाई टाल दी। याचिकाकर्ता की ओर से “अमानवीय व्यवहार” का आरोप लगाए जाने पर अदालत ने कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि अगली सुनवाई में एक वीडियो चलाया जाएगा और यह पूछा जाएगा कि आखिर “मानवता” क्या है।

यह मामला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष आया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जिस तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ को गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करनी थी, वह अब नहीं बैठी और प्रकरण अब 7 जनवरी को सूचीबद्ध किया गया है।

सिब्बल ने कहा कि इस बीच दिल्ली नगर निगम ने ऐसे नियम बना दिए हैं जो वैधानिक प्रावधानों के विपरीत हैं। उन्होंने आशंका जताई कि दिसंबर में ही इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा और कुत्तों को हटाया जाएगा, जबकि उनके लिए पर्याप्त आश्रय गृह तक उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने इसे “बेहद अमानवीय” बताया।

READ ALSO  Section 11(6) of the Arbitration Act doesn't prevent court from declining to refer matter for Arbitration: Supreme Cour

पीठ ने हालांकि तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि यदि नियम लागू होते हैं तो अदालत बाद में इस पर विचार करेगी। न्यायमूर्ति मेहता ने टिप्पणी की कि अगली तारीख पर एक वीडियो दिखाया जाएगा और यह पूछा जाएगा कि मानवता किसे कहते हैं। इस पर सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता पक्ष भी जमीनी हालात दिखाने के लिए वीडियो प्रस्तुत करेगा।

अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी आपत्तियों पर 7 जनवरी को ही विचार किया जाएगा।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गई उस कार्यवाही का हिस्सा है, जो 28 जुलाई को दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं, खासकर बच्चों में रेबीज के मामलों, से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों के बाद शुरू की गई थी। इससे पहले 7 नवंबर को अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और खेल परिसरों जैसे स्थानों में कुत्तों के काटने की “चिंताजनक वृद्धि” पर गंभीर चिंता जताई थी।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने राजनेताओं से कहा: मानहानि विवाद के बीच राजनीति में "आप भावुक नहीं हो सकते"

तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद तुरंत चिन्हित शेल्टर में स्थानांतरित किया जाए और उन्हें उसी स्थान पर वापस न छोड़ा जाए, जहां से उन्हें उठाया गया है। इसके साथ ही राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों तथा एक्सप्रेसवे से सभी आवारा पशुओं को हटाने का आदेश भी दिया गया था।

अदालत ने कहा था कि संवेदनशील और संस्थागत क्षेत्रों में बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं प्रशासनिक उदासीनता और रोकी जा सकने वाली खतरों से न निपट पाने की “प्रणालीगत विफलता” को दर्शाती हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने कहा- देश की सभी अदालतों में मामलों की सुनवाई के लिए हाईब्रिड सिस्टम होना चाहिए

अब, नगर निगम के नियमों को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी में विस्तार से सुनवाई करेगा, जहां सार्वजनिक सुरक्षा, कानून और पशु कल्याण के बीच संतुलन पर बहस फिर केंद्र में होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles