पंजाब के नयागांव में एक अधिवक्ता के साथ कथित मारपीट के मामले ने मंगलवार को गंभीर मोड़ ले लिया, जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया। इस मुद्दे पर लगातार दूसरे दिन वकीलों का कामकाज ठप रहा, वहीं अदालत ने पुलिस की निष्क्रियता पर कड़ी टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक से बुधवार दोपहर तक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। अदालत इस मामले की सुनवाई बुधवार को दोपहर 2 बजे करेगी।
बार की ओर से अदालत को बताया गया कि 30 नवंबर को हरियाणा पुलिस के कुछ कर्मी, जो कथित रूप से सादे कपड़ों में थे, बिना स्थानीय पुलिस को सूचना दिए पंजाब के नयागांव पहुंचे और एक अधिवक्ता के घर में घुसकर उसके साथ मारपीट की। बताया गया कि ये पुलिसकर्मी हिसार से जुड़े एक मामले की जांच के सिलसिले में आए थे। वकीलों का आरोप है कि यह पूरी घटना पुलिस शक्ति के दुरुपयोग का मामला है और लिखित शिकायतें देने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अदालत ने मोहाली पुलिस को 7 दिसंबर को दी गई शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि उसमें प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि ऐसी स्थिति में एफआईआर दर्ज न किया जाना समझ से परे है।
हालांकि, अदालत ने वकीलों की हड़ताल पर भी चिंता जताई। खंडपीठ ने कहा कि कामकाज ठप रहने से दूर-दराज से आने वाले वादकारियों को परेशानी हो रही है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि बार के लिए हड़ताल की अवधारणा विदेशी है और सुप्रीम कोर्ट पहले ही वकीलों की हड़ताल को अवैध घोषित कर चुका है।
बार की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि जब तक संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती, तब तक सामान्य सभा ने काम पर लौटने का फैसला नहीं लिया है। मंगलवार देर शाम तक मोहाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी। इस बीच, हाईकोर्ट बार की सामान्य सभा बुधवार सुबह 9 बजे फिर से बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार करने वाली है।

