इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नशा तस्करों की याचिका खारिज की, कहा- यह समाज के खिलाफ गंभीर अपराध है

नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार पर कड़ा रुख अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नकली कफ सिरप (कोडीन युक्त) की तस्करी में शामिल दो कथित सरगनाओं को किसी भी तरह की कानूनी राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले को समाज के लिए बेहद खतरनाक बताते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया।

सोमवार को न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने आरोपी सिंटू उर्फ अखिलेश प्रकाश और आकाश मौर्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) को रद्द करने और गिरफ्तारी पर स्टे की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं पर “समाज के विरुद्ध अपराध” करने का आरोप है जो “गंभीर प्रकृति” का है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तथ्यों को देखते हुए जांच में हस्तक्षेप करने या राहत देने का कोई आधार नहीं बनता है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रकाश और मौर्य इस रैकेट के सामान्य सदस्य नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश से संचालित होने वाले एक बड़े नार्कोटिक्स सिंडिकेट के मुख्य सरगना (किंगपिन) माने जा रहे हैं। पुलिस का आरोप है कि दोनों ने धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के जरिए तस्करी की एक बड़ी चेन तैयार कर रखी थी।

जौनपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में इस गिरोह के काम करने के तरीके का खुलासा किया गया है। आरोपों के मुताबिक, यह नेटवर्क फर्जी कंपनियों और जाली दस्तावेजों के सहारे चल रहा था। इन फर्जी फर्मों की आड़ में नशीली और कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध खेप को वैध दवा बताकर सप्लाई किया जाता था ताकि पुलिस और जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकी जा सके।

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जांच एजेंसियों का दावा है कि इस सिंडिकेट का दायरा कई राज्यों और देशों तक फैला हुआ है। आरोपी कथित तौर पर गाजियाबाद और वाराणसी के स्टॉक पॉइंट्स से नशीले पदार्थों का परिवहन मैनेज करते थे। यह सप्लाई चेन बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए नेपाल और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तक पहुंचती थी।

इस मामले में गाजियाबाद, वाराणसी और जौनपुर समेत कई जिलों में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो इस रैकेट के व्यापक विस्तार को दर्शाती हैं। हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज होने के बाद अब जांच एजेंसियों के लिए इन कथित सरगनाओं के खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है।

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