वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पदनाम को चुनौती: इलाहाबाद हाईकोर्ट का 90 नव-नामित वरिष्ठ अधिवक्ताओं को प्रतिवादी बनाने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने हाल ही में नामित किए गए 90 वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका में प्रतिवादी (respondent) के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इस विवाद के निस्तारण के लिए नामित अधिवक्ता “आवश्यक और उचित पक्षकार” (necessary and proper parties) हैं।

मामले की पृष्ठभूमि

यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने अनुपम मेहरोत्रा द्वारा व्यक्तिगत रूप से (in person) दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

याचिका, जिसका शीर्षक अनुपम मेहरोत्रा बनाम हाई कोर्ट यू.पी. द्वारा महानिबंधक, प्रयागराज व 3 अन्य (Writ-C No. 11668 of 2025) है, में 5 नवंबर, 2025 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक द्वारा जारी इस अधिसूचना के माध्यम से 90 अधिवक्ताओं को 5 नवंबर, 2025 से वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित (designated) किया गया था।

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कोर्ट का अवलोकन और विश्लेषण

कार्यवाही के दौरान, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से और प्रतिवादी संख्या 1 से 4 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विजय दीक्षित को सुना।

याचिका के कॉज टाइटल (cause title) का अवलोकन करने पर, पीठ ने पाया कि जिन 90 व्यक्तियों के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदनाम को चुनौती दी गई है, उन्हें इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है। कोर्ट ने माना कि कार्यवाही के लिए उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।

कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा:

“हमारा मत है कि वे आवश्यक और उचित पक्षकार हैं और उन्हें वर्तमान रिट याचिका में प्रतिवादी के रूप में जोड़ा जाना आवश्यक है।”

निर्णय और निर्देश

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इस अवलोकन के आलोक में, हाईकोर्ट ने रिट याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किए गए सभी 90 व्यक्तियों को पार्टियों की सूची में प्रतिवादी के रूप में शामिल (implead) करें।

नोटिस तामील कराने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए, कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के संपर्क विवरण डिजिटल रूप से उपलब्ध हैं। पीठ ने निर्देश दिया:

“चूंकि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के ई-मेल पते वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं, इसलिए रिट याचिकाकर्ता को इन सभी 90 व्यक्तियों को ई-मेल के माध्यम से नोटिस तामील कराने का निर्देश दिया जाता है।”

कोर्ट ने दलीलों को पूरा करने के लिए समय प्रदान किया है। नव-शामिल प्रतिवादियों सहित अन्य प्रतिवादियों को चार सप्ताह की अवधि के भीतर अपने जवाबी हलफनामे (counter affidavits) दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। इसके पश्चात, यदि कोई प्रत्युत्तर हलफनामा (rejoinder affidavit) हो, तो उसे दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय दिया गया है।

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इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी, 2026 को सूचीबद्ध की गई है।

केस विवरण:

  • केस टाइटल: अनुपम मेहरोत्रा बनाम हाई कोर्ट यू.पी. द्वारा महानिबंधक, प्रयागराज व 3 अन्य
  • केस नंबर: रिट-सी नंबर 11668 ऑफ 2025 (WRIT-C No. 11668 of 2025)
  • कोरम: न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति राजीव भारती
  • याचिकाकर्ता के लिए वकील: व्यक्तिगत रूप से (अनुपम मेहरोत्रा)
  • प्रतिवादियों के लिए वकील: श्री विजय दीक्षित

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