सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश सरकार को एक महत्वपूर्ण निर्देश देते हुए 2015 से 2025 के बीच राज्य में आवंटित किए गए सभी सरकारी ठेकों (Contracts) का विस्तृत विवरण मांग लिया है। कोर्ट ने यह आदेश उन आरोपों की सुनवाई के दौरान दिया, जिनमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार के सदस्यों को बड़ी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए हैं। कोर्ट ने आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये “बहुत कुछ बयां कर रहे हैं।”
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए साफ किया कि वह अभी यह तय करेगी कि मामले की जांच सीबीआई (CBI) से कराने की जरूरत है या नहीं।
सुनवाई के दौरान बेंच ने टेंडर प्रक्रिया में सामने आए तथ्यों पर हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि प्रतिस्पर्धी कंपनियों की बोलियों (Bids) के बीच का अंतर बेहद मामूली है, जिसे बेंच ने एक “अद्भुत संयोग” (Remarkable coincidence) करार दिया।
बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि टेंडर की रकम में इतना कम अंतर है, तो यह “कार्टेलाइजेशन” (सांठगांठ) को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा, “अगर ऐसा है, तो यह गंभीर मामला है,” और साथ ही जोड़ा कि जो आंकड़े सामने आए हैं, वे खुद अपनी कहानी कह रहे हैं।
सुनवाई के एक मोड़ पर बेंच ने स्थिति की तुलना ‘बिहार चारा घोटाले’ से करते हुए सवाल पूछा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इस पर सहमति जताते हुए कहा, “एक तरह से।”
राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि याचिका और विवाद केवल तवांग जिले तक सीमित है, इसलिए उन्होंने केवल उसी जिले की जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। बेंच ने कहा, “हमें ऐसा कोई बंधन या सीमा नहीं दिखती कि यह याचिका या कोर्ट का पिछला आदेश केवल तवांग जिले तक सीमित था।”
कोर्ट ने राज्य के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हम बल्कि यह सोच सकते हैं कि आप कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।”
याचिकाकर्ता एनजीओ ‘सेव मोन रीजन फेडरेशन’ और ‘वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने हलफनामे के आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पेमा खांडू के तत्काल परिवार के सदस्यों की फर्मों को 188 करोड़ रुपये के 31 ठेके और 2.61 करोड़ रुपये के वर्क ऑर्डर दिए गए।
भूषण ने राज्य सरकार के उस तर्क को भी कोर्ट के सामने रखा जिसमें कहा गया था कि सरकार उन कंपनियों को ठेके देना चाहती है जिन पर स्थानीय लोगों का भरोसा है। चूंकि मुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से आते हैं, इसलिए उनकी और उनके परिवार की कंपनियां ‘स्थानीय लोगों द्वारा भरोसेमंद’ मानी जाती हैं।
कोर्ट का फैसला: 8 हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश सरकार को नया और व्यापक हलफनामा (Affidavit) दाखिल करने के लिए 8 हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि:
- ब्योरा केवल तवांग का नहीं, बल्कि सभी जिलों का होना चाहिए।
- जानकारी 2015 से 2025 की अवधि तक की होनी चाहिए (2015 से पहले की नहीं)।
- इसमें उन सभी ठेकों का विवरण होना चाहिए जो मुख्यमंत्री या उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी फर्मों को दिए गए हैं।
बेंच ने कहा कि फिलहाल जांच का आदेश देने की ओर झुकाव नहीं दिखाया गया है, क्योंकि पहले वे पूरी जानकारी देखना चाहते हैं। मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को तय की गई है।
इस जनहित याचिका (PIL) में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू को पक्षकार बनाया गया है। इसके अलावा, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की दूसरी पत्नी रिनचिन ड्रेमा और उनके भतीजे त्सेरिंग ताशी को भी मामले में पक्षकार बनाया गया है। आरोप है कि रिनचिन ड्रेमा की फर्म ‘ब्रांड ईगल्स’ को हितों के टकराव (Conflict of Interest) के बावजूद बड़ी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए।

