सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि केरल में चल रही विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत नामांकन-फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर से बढ़ाकर एक सप्ताह और बढ़ाने पर विचार किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने कहा कि केरल में स्थानीय निकाय चुनाव 9 और 11 दिसंबर को हो रहे हैं, जबकि मतगणना 13 दिसंबर को होगी। इस दौरान करीब 1.76 लाख सरकारी कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में लगे हैं, जिससे उनके लिए 11 दिसंबर तक SIR फॉर्म जमा करना मुश्किल हो सकता है।
ग्रामीणों और राजनीतिक दलों की शिकायतों को देखते हुए अदालत ने केरल सरकार और अन्य याचिकाकर्ताओं को अनुमति दी कि वे बुधवार शाम 5 बजे तक चुनाव आयोग को औपचारिक प्रतिनिधित्व दें और समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध करें।
पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह इस प्रतिनिधित्व पर “सहानुभूतिपूर्वक और वस्तुनिष्ठ ढंग से” विचार करे और दो दिनों के भीतर निर्णय ले। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अगर तारीख 13 दिसंबर के बाद बढ़ाई जाती है, तो स्थानीय चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी भी इसमें हिस्सा ले सकेंगे।”
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और मनीष सिंह ने चुनाव आयोग की ओर से पेश होकर SIR प्रक्रिया का बचाव किया। द्विवेदी ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव और SIR “दो अलग-अलग प्रक्रियाएँ” हैं और इनके लिए अलग-अलग टीमें तैनात हैं। उन्होंने यह भी बताया कि केरल राज्य निर्वाचन आयोग SIR कर्मचारियों को स्थानीय चुनाव ड्यूटी से पहले ही छूट दे चुका है।
उन्होंने कहा कि अंतिम तिथि पहले ही 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी गई थी। आयोग के अनुसार, 98% से अधिक फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं और 88% से अधिक डिजिटाइज भी हो चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की कि एक “अजीब स्थिति” पैदा हो गई है, क्योंकि सरकार की ओर से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन राजनीतिक दल ही विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकारी निकाय को कोई समस्या नहीं है, पर राजनीतिक दलों को है।”
फिर भी, अदालत ने जोर देकर कहा कि सरकारी कर्मचारियों पर अनावश्यक बोझ नहीं डाला जाना चाहिए, खासकर जब वे एक साथ दो चुनाव-संबंधित जिम्मेदारियाँ निभा रहे हों।

