सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति की वह याचिका सुनने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जान का खतरा बताते हुए 24 घंटे सुरक्षा देने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में ही याचिकाकर्ता से पूछा, “कौन धमका रहा है आपको? लॉरेंस बिश्नोई यूपी में भी एक्ट करता है?”
याचिकाकर्ता के वकील ने हाँ में जवाब देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को लगातार सुरक्षा की आवश्यकता है।
जब पीठ ने यह टिप्पणी की कि बिश्नोई गैंग मुख्य रूप से राजस्थान और पंजाब में सक्रिय बताया जाता है, तो वकील ने कहा, “वह हर जगह एक्ट करता है। सिर्फ भारत में ही नहीं।”
पीठ ने कहा कि सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है, जिसमें जिला-स्तरीय, राज्य-स्तरीय और मंडल-स्तरीय समितियाँ शामिल होती हैं। “वे ही इस पर निर्णय लेंगी,” पीठ ने कहा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि कोई शिकायत है तो वह अपने क्षेत्राधिकार वाले हाई कोर्ट में जाए। वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता पहले ही हाई कोर्ट गया था, जहाँ समिति ने उसकी अभ्यावेदन पर विचार कर उसे खारिज कर दिया।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दीजिए।”
जब पीठ ने याचिका पर विचार करने से असहमति जताई, तो याचिकाकर्ता के वकील ने इसे वापस लेने का अनुरोध किया। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपाय अपनाने की स्वतंत्रता दी।
याचिकाकर्ता ने अपने पहले के अभ्यावेदन में कहा था कि उसे लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जान से मारने की धमकी मिली है। लॉरेंस बिश्नोई कई आपराधिक मामलों में आरोपी है और इस समय हिरासत में है।
उपलब्ध जानकारियों के अनुसार बिश्नोई गिरोह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड सहित कई राज्यों में सक्रिय माना जाता है।

