गुजरात में इंटर्नशिप कर रहे विदेशी चिकित्सा स्नातकों को स्टाइपेंड न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने NMC, राज्य सरकार से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC), गुजरात सरकार और अन्य अधिकारियों से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि गुजरात में इंटर्नशिप कर रहे विदेशी चिकित्सा स्नातकों (Foreign Medical Graduates – FMG) को कानूनी रूप से मिलने वाला स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन बेलारूस मेडिकल स्टूडेंट्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई और NMC सहित राज्य प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया। इस मामले को समान मुद्दों से जुड़ी लंबित याचिकाओं के साथ टैग किया गया है।

अधिवक्ता तन्वी दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि FMG इंटर्न्स को स्टाइपेंड न देना NMC (Foreign Medical Graduate Licentiate) Regulations, 2021 के क्लॉज़ 3 का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विदेशी स्नातकों को भारतीय स्नातकों के बराबर स्टाइपेंड मिलना चाहिए।

याचिका के अनुसार:

  • FMG छात्रों ने विदेश में 4–6 वर्ष मेडिकल शिक्षा पर खर्च किए हैं और अब भारत लौटकर इंटर्नशिप कर रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अड़चनें उनकी योग्यता को “बेकार” बना रही हैं।
  • गुजरात में कई FMGs को खुद के खर्च पर भोजन, आवास और यात्रा करनी पड़ रही है, क्योंकि कोई स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा।
  • कुछ कॉलेजों पर आरोप है कि वे छात्रों को यह हलफ़नामा देने के लिए मजबूर कर रहे हैं कि वे स्टाइपेंड का दावा नहीं करेंगे।
  • NMC ने 2022 और 2023 में कई सर्कुलर जारी कर स्पष्ट किया है कि FMGs को भारतीय चिकित्सा स्नातकों के समान स्टाइपेंड मिलना अनिवार्य है।
  • FMG इंटर्न्स के कार्य घंटे और जिम्मेदारियाँ भारतीय इंटर्न्स जैसी ही हैं, फिर भी उन्हें अलग रखकर स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा।
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याचिका में कहा गया है कि एसोसिएशन ने राज्य अधिकारियों को विस्तृत शिकायत भेजी थी और अप्रैल में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने जून और जुलाई में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया

याचिका में मांग की गई है कि—

  • गुजरात मेडिकल काउंसिल और गुजरात मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी के अधीन कॉलेजों में इंटर्नशिप कर रहे सभी FMGs को नियमित मासिक स्टाइपेंड दिया जाए।
  • पूरे इंटर्नशिप अवधि के लिए पिछली तारीख से (retrospective effect) भुगतान किया जाए।
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मामला अब अन्य समान याचिकाओं के साथ आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

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