मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिसंबर 2020 में राज्य के तीन जिलों में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं पर सवाल उठाए गए हैं।
इंदौर पीठ पर न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।
सिंह की यह याचिका, जो 2021 में दायर की गई थी, में कहा गया है कि इंदौर, उज्जैन और मंदसौर जिलों में दिसंबर 2020 की हिंसा उन रैलियों के दौरान भड़की थी, जो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कथित चंदा-संग्रह अभियान से जुड़ी थीं। उनका आरोप है कि कुछ संगठनों ने चंदा संग्रह के नाम पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा।
सुनवाई के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2018 के उन विस्तृत दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही है, जिनका उद्देश्य साम्प्रदायिक हिंसा, भीड़-हमलों और घृणा भाषण को रोकना है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा प्रभावितों को पर्याप्त राहत और सहायता नहीं मिली।
राज्य सरकार ने उनके सभी आरोपों का विरोध करते हुए याचिका को निराधार बताया और उसके खारिज किए जाने की मांग की।
इस याचिका में राज्य सरकार के साथ-साथ इंदौर, उज्जैन और मंदसौर जिलों के उन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी पक्षकार बनाया गया है, जो दिसंबर 2020 की घटनाओं के समय वहां तैनात थे।
अदालत ने अब आदेश सुरक्षित रख लिया है।




