बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई पुलिस से पूछा कि पूर्व सेलिब्रिटी मैनेजर दिशा सालियन की मौत की जांच में पांच साल बाद भी देरी क्यों हो रही है, जबकि अब तक यह भी तय नहीं हो पाया है कि मौत आत्महत्या थी या संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हत्या।
न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति आर. आर. भोंसले की खंडपीठ यह याचिका सुन रही थी, जिसे दिशा के पिता सतीश सालियन ने दायर किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या की गई और उसके बाद प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव में मामला दबा दिया गया।
दिशा सालियन की मृत्यु 8 जून 2020 को मलाड स्थित 14वीं मंजिल से गिरने के बाद हुई थी। उस समय मुंबई पुलिस ने ADR (Accidental Death Report) दर्ज की थी।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील मंकुनवर देशमुख ने अदालत को बताया कि जांच अब भी जारी है। इस पर अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,
“क्यों अभी भी जांच चल रही है? पांच साल हो गए। किसी की मौत हुई है। आपको सिर्फ यह तय करना है कि यह आत्महत्या है या हत्या का मामला।”
देशमुख ने कहा कि पुलिस “सभी संभावनाओं को खत्म करने के लिए बारीकी से जांच” कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि घटना के बाद पुलिस ने कई बार सतीश सालियन और उनकी पत्नी के बयान दर्ज किए थे और उन्होंने उस समय “किसी पर भी संदेह न होने” की बात कही थी।
देशमुख ने कहा, “और अब पांच साल बाद पिता ये आरोप उठा रहे हैं।”
वहीं याचिकाकर्ता ने CBI जांच की मांग की है और शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने का अनुरोध किया है।
अदालत ने पुलिस से यह भी पूछा कि सतीश सालियन के बयान की प्रतियां और अन्य प्राथमिक जांच संबंधी दस्तावेज उन्हें क्यों नहीं दिए जा रहे हैं, जबकि कानून के अनुसार ऐसे दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकते हैं। अदालत ने कहा,
“वह पीड़िता के पिता हैं। जो भी दस्तावेज कानूनी रूप से दिए जा सकते हैं, उन्हें उपलब्ध कराए जाएं।”
खंडपीठ ने मुंबई पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और देशमुख से कहा कि 11 दिसंबर की अगली तारीख तक यह स्पष्ट किया जाए कि किन दस्तावेज़ों को याचिकाकर्ता को देने पर पुलिस का क्या रुख है।
मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
इस बीच, आदित्य ठाकरे ने हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने याचिका को “झूठी, निराधार और प्रेरित” बताया है और किसी भी आदेश से पहले उन्हें सुने जाने का अनुरोध किया है।




