जयपुर ITAT में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल उजागर: CBI ने ज्यूडिशियल मेंबर और वकील को किया गिरफ्तार, 1 करोड़ से ज्यादा कैश बरामद

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने न्यायपालिका की साख को बट्टा लगाने वाले एक बड़े सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। जयपुर स्थित आयकर अपीलीय अधिकरण (ITAT) में चल रहे ‘ऑर्डर के बदले कैश’ (Cash-for-Orders) के खेल पर कार्रवाई करते हुए, CBI ने ITAT की एक ज्यूडिशियल मेंबर (न्यायिक सदस्य) और एक वकील को गिरफ्तार किया है। इस मामले में रिश्वत देने वाले एक निजी व्यक्ति को भी हिरासत में लिया गया है।

कैसे खुला भ्रष्टाचार का नेटवर्क?

CBI को सूचना मिली थी कि जयपुर ITAT में न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों और वकीलों का एक संगठित गिरोह काम कर रहा है। आरोप है कि यह सिंडिकेट अधिकरण (Tribunal) के समक्ष लंबित अपीलों को पैसे लेकर “सेटल” करने और मनचाहे फैसले सुनाने का काम कर रहा था।

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इस सूचना के आधार पर, CBI ने 25 नवंबर को मामला दर्ज किया। जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क में ITAT की ज्यूडिशियल मेंबर, एक असिस्टेंट रजिस्ट्रार और कुछ वकील शामिल थे।

वकील को रंगे हाथों पकड़ा, हवाला से ली थी रिश्वत

CBI ने जाल बिछाकर सबसे पहले 25 नवंबर को एक वकील को गिरफ्तार किया। एजेंसी के मुताबिक, यह वकील सिंडिकेट की एक अहम कड़ी था और उसे 5.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि रिश्वत की यह रकम हवाला नेटवर्क के जरिए पहुंचाई गई थी, जो इस अपराध की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

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सरकारी गाड़ी से मिले 30 लाख रुपये

वकील की गिरफ्तारी के बाद जांच की आंच ITAT की ज्यूडिशियल मेंबर तक पहुंची। 26 नवंबर को एक नाटकीय घटनाक्रम में, CBI ने ज्यूडिशियल मेंबर को गिरफ्तार कर लिया। तलाशी के दौरान उनकी सरकारी गाड़ी से 30 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। एजेंसी का मानना है कि यह रकम भ्रष्टाचार के जरिए जुटाई गई थी।

उसी दिन, फैसले को प्रभावित करने के लिए रिश्वत देने वाले निजी व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

1 करोड़ से अधिक की नकदी जब्त

गिरफ्तारियों के बाद CBI ने आरोपियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में एजेंसी को भारी सफलता मिली और कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई।

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नकदी के अलावा, जांच एजेंसी ने संपत्ति के दस्तावेज, ट्रांजैक्शन का ब्यौरा और कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए हैं। CBI की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस सिंडिकेट में ITAT के असिस्टेंट रजिस्ट्रार और अन्य अज्ञात लोक सेवकों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। फिलहाल मामले में सर्च ऑपरेशन और आगे की पूछताछ जारी है।

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