राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से 500 मीटर की परिधि में चल रही सभी शराब दुकानों को दो माह के भीतर वहाँ से हटा दिया जाए। अदालत ने कहा कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए ऐसा कदम अत्यंत आवश्यक है।
जोधपुर पीठ के न्यायमूर्ति पी. एस. भाटी और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध इस बात से अप्रभावित रहेगा कि संबंधित क्षेत्र पर किस स्थानीय प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्र है। अदालत ने यह भी कहा कि राजमार्गों पर शराब उपलब्धता से जुड़े किसी भी दृश्य संकेत—जैसे बोर्ड, बैनर या विज्ञापन—दिखाई नहीं देने चाहिए।
यह आदेश याचिकाकर्ताओं कनहैया लाल सोनी और मनोज नाई की याचिकाओं पर आया, जिन्होंने तर्क दिया कि राजमार्गों, खासकर दुर्घटना-प्रवण मार्गों के किनारे स्थित शराब दुकानों पर सख्त नियामक नियंत्रण की जरूरत है। उनका कहना था कि राजमार्गों के पास शराब की आसान उपलब्धता लंबे समय से न्यायिक चिंता का विषय रही है और तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई आवश्यक है।
खंडपीठ ने दर्ज किया कि राज्य सरकार ने ऐसी 1,102 शराब दुकानों की पहचान कर ली है जो 500 मीटर की निषिद्ध परिधि में आती हैं। अदालत ने इन्हें वैध और अनुमेय स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। आबकारी आयुक्त को अगली सुनवाई—26 जनवरी 2026—से पहले विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।
मामले की गंभीरता रेखांकित करते हुए अदालत ने हाल के दो बड़े सड़क हादसों—जयपुर के हरमाड़ा क्षेत्र और फालोदी के पास हुए—का उल्लेख किया, जिनमें कुल 28 लोगों की मौत हुई थी। अदालत ने कहा कि शराब के दुरुपयोग और लापरवाह ड्राइविंग का घातक मिश्रण लगातार जन-सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है और संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है।
खंडपीठ ने यह भी टिप्पणी की कि प्रवर्तन में कमी और नियामक निगरानी की कमजोरियाँ स्थिति को और खराब कर रही हैं, इसलिए प्रशासन को कठोर कदम उठाने होंगे ताकि मानव-जीवन की अनावश्यक हानि को रोका जा सके।




