केरल हाई कोर्ट ने काजू व्यवसायी अनीश बाबू को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मामले में शामिल राशि बहुत बड़ी है और उनकी हिरासत में पूछताछ आवश्यक प्रतीत होती है।
जस्टिस कौसर एडप्पगाथ ने कहा कि बाबू पर कई लोगों को काजू सप्लाई करने और नौकरी दिलाने के नाम पर धोखा देने का आरोप है, जिसके जरिए उन्होंने कुल 25.52 करोड़ रुपये हासिल किए। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुसार, ये रकम “अपराध से अर्जित धन” है और बाबू ने इसका उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया।
अदालत के अनुसार, जांच में यह सामने आया है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा बाबू के बैंक खाते में 2.03 करोड़ रुपये जमा किए गए थे, लेकिन यह राशि विदेश में आयात के लिए भेजी ही नहीं गई, जैसा कि बाबू का दावा था। अदालत ने कहा, “अतः मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथमदृष्टया मामला बनता है।”
जस्टिस एडप्पगाथ ने कहा कि जांच “अत्यंत महत्वपूर्ण चरण” में है और उपलब्ध सामग्री के आधार पर इस स्तर पर यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक आरोपों से निर्दोष है। आदेश में कहा गया, “निस्संदेह, जांच एजेंसी को सभी सामग्रियां जुटाने के लिए और समय चाहिए, खासकर इस बात की पुष्टि के लिए कि आवेदक का अपराध से क्या संबंध है। मामले में राशि भारी है। आवेदक की हिरासत में पूछताछ आवश्यक प्रतीत होती है।”
अदालत ने ED द्वारा उठाई गई इस आशंका को भी स्वीकार किया कि अग्रिम जमानत मिल जाने पर बाबू गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या जांच में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
अदालत ने कहा, “अतः BNSS की धारा 482 के तहत इस अदालत के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने का कोई कारण नहीं दिखाई देता। इसलिए जमानत आवेदन खारिज किया जाता है।”
अपनी अग्रिम जमानत याचिका में बाबू ने दावा किया था कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है ताकि उनके द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर विजिलेंस और एंटी-करप्शन ब्यूरो (VACB) द्वारा ED के एक अधिकारी के खिलाफ दर्ज मामले का प्रतिशोध लिया जा सके।
VACB ने मई में ED कोच्चि कार्यालय के एक सहायक निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जब बाबू ने आरोप लगाया था कि कुछ निजी व्यक्तियों ने मार्च 2021 के मनी लॉन्ड्रिंग केस को “सेटल” करने के नाम पर उनसे 2 करोड़ रुपये की मांग की थी।




