‘HAVELI’ शब्द पर किसी का एकाधिकार नहीं, यह ट्रेड में सामान्य है: दिल्ली हाईकोर्ट ने हवेली रेस्टोरेंट की अपील खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘हवेली रेस्टोरेंट एंड रिसॉर्ट्स लिमिटेड’ द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया है, जिसमें ‘अमृतसर हवेली’ (AMRITSAR HAVELI) और ‘द अमृतसर हवेली’ (THE AMRITSAR HAVELI) ट्रेडमार्क के पंजीकरण को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘HAVELI’ (हवेली) शब्द सामान्य (generic), वर्णनात्मक (descriptive) और व्यापार में आम (common to trade) है, इसलिए इस पर किसी एक का एकाधिकार नहीं हो सकता।

न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपीलकर्ता ‘HAVELI’ शब्द पर विशेष अधिकारों का दावा नहीं कर सकता क्योंकि हॉस्पिटैलिटी उद्योग में यह शब्द publici juris (सार्वजनिक संपत्ति) बन चुका है। कोर्ट ने ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के आदेशों को बरकरार रखते हुए कहा कि दोनों पक्षों के ट्रेडमार्क को समग्र रूप से देखने पर उनमें कोई भ्रामक समानता (deceptive similarity) नहीं है।

मामले का संक्षिप्त सार

यह विवाद हवेली रेस्टोरेंट एंड रिसॉर्ट्स लिमिटेड (अपीलकर्ता) द्वारा दायर दो अपीलों से उत्पन्न हुआ था। अपीलकर्ता ने ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 91 के तहत ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार (प्रतिवादी संख्या 1) द्वारा 21 फरवरी, 2024 को पारित आदेशों को चुनौती दी थी। रजिस्ट्रार ने अपीलकर्ता के विरोध को खारिज करते हुए प्रतिवादी संख्या 2 के पक्ष में क्लास 43 के तहत ‘AMRITSAR HAVELI’ और ‘THE अमृतसर हवेली’ के पंजीकरण की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों और ‘HAVELI’ ट्रेडमार्क की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता ‘HAVELI’ शब्द पर अपने विशेष स्वामित्व को स्थापित करने में विफल रहा और अपीलों को खारिज कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

अपीलकर्ता कंपनी, जिसे मूल रूप से 1997 में मैसर्स आशा बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में निगमित किया गया था, ने 2009 में अपना नाम बदलकर हवेली रेस्टोरेंट एंड रिसॉर्ट्स लिमिटेड कर लिया था। उनका दावा था कि वे हॉस्पिटैलिटी उद्योग में एक प्रसिद्ध नाम हैं और 2001 से पंजाब के जालंधर में ‘HAVELI’ ब्रांड के तहत एक रेस्टोरेंट चला रहे हैं। अपीलकर्ता के पास क्लास 30 (2001 से) में ‘HAVELI’ युक्त एक डिवाइस मार्क (चयनित चित्र/लोगो) और क्लास 16 में ‘HAVELI’ शब्द का पंजीकरण है।

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प्रतिवादी संख्या 2 ने वर्ष 2018 और 2019 में क्लास 43 (खाद्य और पेय सेवाएं) के तहत ‘AMRITSAR HAVELI’ और ‘THE AMRITSAR HAVELI’ के पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। अपीलकर्ता ने इन आवेदनों का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि ये उनके मार्क के साथ भ्रामक रूप से समान हैं और इससे भ्रम की स्थिति पैदा होगी। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार ने इस विरोध को खारिज कर दिया, जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

पक्षों की दलीलें

अपीलकर्ता का पक्ष: अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि वह 2001 से ‘HAVELI’ मार्क का पूर्व उपयोगकर्ता (prior user) है और इस मार्क ने विशिष्टता और प्रतिष्ठा हासिल कर ली है। अपीलकर्ता के वकील ने निम्नलिखित दलीलें पेश कीं:

  • विवादित मार्क अपीलकर्ता के मार्क के साथ “भ्रामक रूप से समान/समरूप” हैं और दोनों एक ही हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र (क्लास 43) में कार्यरत हैं।
  • प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा मार्क को अपनाना “बेईमानी” थी और इसका उद्देश्य अपीलकर्ता की सद्भावना (goodwill) का लाभ उठाना था।
  • रजिस्ट्रार ने 2001 के नकद मेमो, बिक्री रिकॉर्ड और विज्ञापनों जैसे दस्तावेजी साक्ष्यों पर विचार नहीं किया।
  • ‘HAVELI’ शब्द अपीलकर्ता के कॉर्पोरेट नाम का हिस्सा है, जो ब्रांड नाम के रूप में इसके उपयोग को दर्शाता है।

प्रतिवादी संख्या 2 का पक्ष: प्रतिवादी संख्या 2 की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री जे. साई दीपक ने तर्क दिया:

  • ‘HAVELI’ शब्द “प्रकृति में वर्णनात्मक है और इसका हिंदी भाषा में शब्दकोश अर्थ (dictionary meaning) है,” जो इसे अधिनियम की धारा 9(1)(a) के तहत गैर-विशिष्ट बनाता है।
  • यह शब्द “व्यापार में सामान्य” (common to trade) और publici juris है, जिसका प्रमाण यह है कि भारत भर में हॉस्पिटैलिटी उद्योग में ‘HAVELI’ युक्त कई पंजीकृत ट्रेडमार्क मौजूद हैं।
  • अपीलकर्ता का ‘HAVELI’ शब्द पर “कोई अधिकार नहीं है क्योंकि किसी को भी इस पर एकाधिकार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
  • अपीलकर्ता ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है, जिसमें वे प्रतिकूल आदेश शामिल हैं जहां रजिस्ट्रार ने पहले अपीलकर्ता के ‘HAVELI’ शब्द मार्क के आवेदनों को गैर-विशिष्टता के आधार पर खारिज कर दिया था।
  • अपीलकर्ता ने “असंगत और अस्थिर रुख” अपनाया है; अपने स्वयं के ट्रेडमार्क आवेदनों में आपत्तियों को दूर करने के लिए उन्होंने ध्वन्यात्मक और दृश्य अंतरों (phonetic and visual differences) का सहारा लिया, जबकि वर्तमान विरोध में समानता का तर्क दे रहे हैं।
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कोर्ट का विश्लेषण

कोर्ट ने मुख्य मुद्दे को निर्धारित किया कि क्या अपीलकर्ता के पास ‘HAVELI’ मार्क पर विशेष अधिकार है और क्या यह मार्क सामान्य (generic) है।

1. ‘HAVELI’ पर कोई विशेष अधिकार नहीं: कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता के पास क्लास 30 (खाद्य उत्पाद) या क्लास 43 (सेवाएं) में ‘HAVELI’ शब्द मार्क (Word Mark) का कोई पंजीकरण नहीं है। क्लास 30 में अपीलकर्ता का पंजीकरण एक डिवाइस मार्क (Device Mark) है, और क्लास 16 का पंजीकरण कागज के सामान से संबंधित है। न्यायमूर्ति करिया ने नोट किया:

“अपीलकर्ता ‘HAVELI’ शब्द मार्क या क्लास 30 में किसी भी ‘HAVELI’ फॉर्मेटिव मार्क के पंजीकरण के अभाव में ‘HAVELI’ मार्क पर स्वामित्व स्थापित करने में सक्षम नहीं है… यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता के पक्ष में क्लास 30 के लिए ‘HAVELI’ मार्क का कोई पंजीकरण नहीं है।”

कोर्ट ने अपीलकर्ता के विरोधाभासी रुख की ओर भी इशारा किया। पिछले मामलों में, अपने स्वयं के पंजीकरण को सुरक्षित करने के लिए, अपीलकर्ता ने तर्क दिया था कि उसके ‘HAVELI’ फॉर्मेटिव मार्क पहले के उद्धरणों से अलग थे। कोर्ट ने कहा:

“अपीलकर्ता ‘HAVELI’ मार्क पर विशेष स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता क्योंकि स्वीकार्य रूप से ऐसे पूर्व पंजीकरण हैं जिनमें ‘HAVELI’ का हिस्सा है और जो अपीलकर्ता के मार्क के साथ अस्तित्व में हैं।”

2. ‘HAVELI’ सामान्य और व्यापार में आम है: प्रतिवादी के तर्क को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने माना कि ‘HAVELI’ एक सामान्य शब्द है जिसका शब्दकोश अर्थ—एक पारंपरिक टाउनहाउस या हवेली—है और इसका व्यापार में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। कोर्ट ने ‘HAVELI’ का उपयोग करने वाले कई तीसरे पक्ष के पंजीकरणों (जैसे ‘लाल हवेली’, ‘पंजाबी हवेली’, ‘रॉयल हेरिटेज हवेली’) को सूचीबद्ध किया जिन्हें अपीलकर्ता ने चुनौती नहीं दी थी। कोर्ट ने अवलोकन किया:

“‘HAVELI’ मार्क प्रकृति में वर्णनात्मक है… इसलिए, ‘HAVELI’ publici juris है और व्यापार के लिए सामान्य है और यह विशिष्ट रूप से अपीलकर्ता के किसी विशेष सामान या सेवाओं के साथ पहचाने जाने योग्य नहीं है।”

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3. कोई भ्रामक समानता नहीं: ‘एंटी-डिस्सेक्शन नियम’ (anti-dissection rule) लागू करते हुए, कोर्ट ने मार्क्स की समग्र रूप से तुलना की। कोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी के मार्क में ‘AMRITSAR’ उपसर्ग (prefix) उसे अपीलकर्ता के डिवाइस मार्क से पर्याप्त रूप से अलग करता है।

“यदि अपीलकर्ता के मार्क्स और विवादित मार्क्स को समग्र रूप से माना जाए तो उन्हें भ्रामक रूप से समान नहीं माना जा सकता है और ‘AMRITSAR’ शब्द के उपयोग से उन्हें अलग किया जा सकता है।”

उद्धृत निर्णय: कोर्ट ने अपने विश्लेषण में निम्नलिखित निर्णयों पर भरोसा किया:

  • वसुंधरा ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम कीरत विनोदभाई जादवानी और अन्य: यह समर्थन करने के लिए कि जब एक सामान्य मार्क किसी समग्र मार्क का हिस्सा होता है, तो कोई उस सामान्य हिस्से पर विशेष एकाधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
  • गणेश गौरी इंडस्ट्रीज बनाम आर.सी. प्लास्टो टैंक एंड पाइप्स (प्रा) लिमिटेड: ‘एंटी-डिस्सेक्शन’ नियम के संबंध में।
  • कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड बनाम गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड और अन्य (शुगर फ्री केस): वर्णनात्मक शब्दों को अपनाते समय कुछ हद तक भ्रम को सहन करने की आवश्यकता के संबंध में।

निर्णय

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपीलों को खारिज कर दिया और ‘AMRITSAR HAVELI’ और ‘THE AMRITSAR HAVELI’ को पंजीकृत करने के रजिस्ट्रार के निर्णय को बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति तेजस करिया ने निष्कर्ष निकाला:

“अपीलकर्ता के पास ‘HAVELI’ मार्क पर कोई विशेष अधिकार नहीं है क्योंकि यह प्रकृति में सामान्य है और व्यापार में आम है। अपीलकर्ता के मार्क्स और विवादित मार्क्स के बीच कोई भ्रामक समानता नहीं है और आक्षेपित आदेशों ने अपीलकर्ता के विरोध को सही ही खारिज किया है…”

कोर्ट ने लागत (costs) के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया।

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