सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस्कॉन (ISKCON) द्वारा संचालित स्कूलों में यौन शोषण के कथित मामलों की जांच की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ताओं को संबंधित बाल अधिकार निकायों के सामने अपनी शिकायत रखने की स्वतंत्रता प्रदान की।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों (SCPCR) के समक्ष नया प्रतिवेदन या अनुस्मारक प्रस्तुत कर सकते हैं।
पीठ ने कहा, “हम इस याचिका का निपटारा इस स्वतंत्रता को सुरक्षित रखते हुए करते हैं कि याचिकाकर्ता एनसीपीसीआर, यूपी एससीपीसीआर और पश्चिम बंगाल एससीपीसीआर को नया प्रतिवेदन/अनुस्मारक देकर अपनी शिकायतों और इस याचिका में उल्लिखित आरोपों की जानकारी दे सकते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्य आयोगों के समक्ष ऐसे प्रतिवेदन दिए जाते हैं तो उन्हें उचित समय सीमा के भीतर विचार किया जाना चाहिए।
यह याचिका रजनीश कपूर और अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि इस्कॉन संचालित स्कूलों के आंतरिक अभिलेखों में बच्चों के यौन शोषण के गंभीर मामले सामने आते हैं और दर्ज की गई शिकायतों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस चरण पर किसी न्यायिक जांच या स्वतंत्र एसआईटी जांच का निर्देश नहीं दिया। अब याचिकाकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी शिकायतें बाल अधिकार आयोगों के समक्ष रखें ताकि आगे की कार्रवाई हो सके।




