कैंसर से पीड़ित एक शिक्षिका के स्थानांतरण से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के सचिव द्वारा दायर जवाब से असंतोष व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पडिया ने गुरुवार को सहायक अध्यापिका कल्पना शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। शर्मा वर्तमान में शाहजहांपुर में तैनात हैं और गाजियाबाद के मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी उपचार प्राप्त कर रही हैं।
शर्मा ने चिकित्सकीय आधार पर गाजियाबाद स्थानांतरण के लिए पहले भी हाईकोर्ट का रुख किया था। पिछले वर्ष सितंबर में अदालत ने उनकी याचिका का निस्तारण करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया था कि चल रहे कैंसर उपचार को ध्यान में रखते हुए उनके प्रतिनिधित्व का “सहानुभूतिपूर्वक” निर्णय लिया जाए।
इसके बावजूद परिषद ने उनके आवेदन को तकनीकी आधार पर अस्वीकार कर दिया। कहा गया कि वर्तमान विद्यालय में केवल दो शिक्षक तैनात हैं, जबकि सरकार की नीति के अनुसार 26 से अधिक छात्र संख्या पर कम से कम तीन शिक्षक अनिवार्य हैं।
अदालत ने इस तर्क पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और रिकॉर्ड किया कि वह इस बात से “बहुत अधिक स्तब्ध और आश्चर्यचकित” है कि पूर्व निर्देशों के अनुरूप मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखने के बजाय अधिकारियों ने केवल तकनीकी आधार पर याचिका खारिज कर दी। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि अदालत को अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जहां 36 से अधिक छात्र संख्या वाले विद्यालयों में केवल एक शिक्षक ही होता है।
नवीनतम सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि सचिव द्वारा दायर हलफनामा अदालत को संतोषजनक नहीं लगा और स्थानांतरण अस्वीकार करने के लिए दिया गया स्पष्टीकरण स्वीकार्य नहीं है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को अगली तारीख की सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।




