दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर, उनके परिवार के सदस्यों और गौतम गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला समाप्त कर दिया। यह मामला कोविड महामारी के दौरान कथित रूप से दवाएं अवैध रूप से स्टॉक करने और बांटने से संबंधित था।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने आदेश सुनाते हुए कहा कि “आपराधिक शिकायत क्वैश”।
दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग ने गंभीर—जो उस समय पूर्वी दिल्ली से सांसद थे—उनकी फाउंडेशन, फाउंडेशन की CEO अपराजिता सिंह, और ट्रस्टी सीमा गंभीर व नताशा गंभीर के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18(c) तथा धारा 27(b)(ii) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी।
धारा 18(c) बिना लाइसेंस दवा के निर्माण, बिक्री या वितरण पर रोक लगाती है, जबकि धारा 27(b)(ii) ऐसे अपराध के लिए तीन से पाँच वर्ष तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान करती है।
गंभीर, उनके परिवार और फाउंडेशन ने ट्रायल कोर्ट के समन और आपराधिक शिकायत को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
20 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए ड्रग कंट्रोल प्राधिकरण से जवाब मांगा था। लेकिन इस वर्ष 9 अप्रैल को कोर्ट ने यह स्टे हटा दिया। इसके बाद गंभीर ने आदेश वापस लेने के लिए नई अर्जी दाखिल की।
सुनवाई के दौरान ड्रग कंट्रोल विभाग ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गंभीर ने सीधे हाईकोर्ट रुख किया, जबकि पहले सेशन कोर्ट में रिवीजन दायर करना चाहिए था। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता मान चुके हैं कि दवाएं बिना वैध लाइसेंस के बांटी गईं, और उनका यह तर्क कि दवाएं “बेची” नहीं गईं, अपराध को समाप्त नहीं करता।
शुक्रवार के आदेश के साथ गौतम गंभीर, उनके परिवार और फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज समस्त आपराधिक कार्यवाही समाप्त हो गई है। विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऑपरेटिव निर्देश के अनुसार आपराधिक शिकायत पूरी तरह रद्द हो चुकी है।




