कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को एक 80 वर्षीय व्यक्ति को सशर्त जमानत दे दी, जिसे नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उसकी उन्नत आयु और पांच महीने से अधिक की न्यायिक हिरासत को देखते हुए यह राहत दी।
आरोपी को जून महीने में पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के मुरुटिया थाने में दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जस्टिस तीरथंकर घोष ने आरोपी की उम्र का उल्लेख करते हुए उसकी जमानत याचिका स्वीकार की। आरोपी के वकील ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फँसाया गया है और चार्जशीट दाख़िल होने के बावजूद अब तक आरोप तय नहीं किए गए हैं, जिससे मुकदमे की प्रगति रुकी हुई है।
एफआईआर के अनुसार, आरोपी पर पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 65(1) (16 वर्ष से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म करने पर दंड) तथा धारा 6 (गंभीर प्रकृति के पैठकारी यौन उत्पीड़न पर दंड) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि अभियोजन पक्ष 16 गवाहों को पेश करने का प्रस्ताव रखता है, जिससे निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की संभावना कम है।
जमानत का विरोध करते हुए राज्य की ओर से पेश वकील ने अदालत का ध्यान पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान और उसके चिकित्सा दस्तावेजों की ओर आकर्षित किया।
जमानत देते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी 20,000 रुपये के बॉन्ड और 10,000 रुपये के दो जमानतदारों (जिनमें से एक स्थानीय होना चाहिए) के आधार पर रिहा किया जाए। जस्टिस घोष ने यह भी कहा कि आरोपी को ट्रायल कोर्ट द्वारा तय प्रत्येक तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा और वह नदिया ज़िले की सीमा बिना अदालत की अनुमति के नहीं छोड़ सकेगा।




