दिल्ली-एनसीआर की लगातार बिगड़ती हवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि समस्या का हल केवल आपातकालीन कदमों से नहीं निकलेगा। अदालत ने साफ किया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लंबी अवधि की रणनीति जरूरी है और उसने पूरे साल ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रतिबंध लागू करने की मांग ठुकरा दी।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि GRAP वैज्ञानिक मानकों और AQI के स्तर के आधार पर तैयार किया गया है. इसलिए इसे पूरे वर्ष लागू करने का निर्देश देना उचित नहीं होगा।
CJI गवई ने कहा,
“हम इस क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं हैं। GRAP के तहत जिन गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है, उन्हें पूरे साल बंद रखने का आदेश नहीं दे सकते। राजधानी में बड़ी आबादी अपनी रोज़ी-रोटी के लिए इन गतिविधियों पर निर्भर है।”
अदालत ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा सरकारों को CAQM की सिफारिशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा,
“यदि CAQM की सलाह को सख्ती से लागू किया जाए तो पराली जलाने की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। दोनों राज्य अधिकारी मिलकर इसकी प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करें।”
अदालत ने यह भी noted किया कि 11 नवंबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की बैठक हुई थी, और केंद्र एक दिन के भीतर आवश्यक दिशा-निर्देश तय कर सकता है। कोर्ट ने ASG ऐश्वर्या भाटी से कहा है कि वे 19 नवंबर को पूरी कार्ययोजना प्रस्तुत करें।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि दिल्ली “गैस चेंबर” में बदल गई है, इसलिए GRAP-1 से लेकर GRAP-4 तक की सभी रोक पूरे साल लागू की जाएं।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि समाधान ग्रेडेड और दीर्घकालिक होना चाहिए, न कि blanket प्रतिबंध।
पीठ ने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की संयुक्त कार्रवाई आवश्यक है।
अमिकस अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि कुछ मीडिया रिपोर्टों व वीडियो में दिखा है कि दिल्ली में AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों के आसपास पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
उन्होंने कहा,
“विभिन्न वीडियो और रिपोर्टें सामने आई हैं कि AQI मॉनिटरों के पास पानी का छिड़काव हो रहा है।”
ASG ने इसका विरोध करते हुए कहा कि शहर में सामान्य तौर पर छिड़काव हो रहा है और वीडियो को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
पीठ ने दिल्ली सरकार (GNCTD) से कहा कि वे दो दिन में एक हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि AQI नापने वाली मशीनें कितनी आधुनिक और प्रभावी हैं।
GRAP एक चरणबद्ध आपातकालीन योजना है, जिसमें AQI के आधार पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं:
- GRAP I: AQI 201–300 (खराब)
- GRAP II: AQI 301–400 (बहुत खराब)
- GRAP III: AQI 401–450 (गंभीर)
- GRAP IV: AQI 451 से अधिक (गंभीर+)
अदालत ने कहा कि ये अस्थायी कदम हैं, और इन्हें स्थायी समाधान नहीं माना जा सकता।
अमिकस ने यह भी बताया कि पंजाब के हलफनामे के अनुसार पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं दिख रहा। अदालत ने कहा कि यह स्थिति बताती है कि समस्या का समाधान केवल मौसमी उपायों से नहीं होगा।
अब मामला 19 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जब केंद्र की विस्तृत कार्ययोजना पर अदालत दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।




