सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड की उस याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसमें अदानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को अपनी 88 संपत्तियाँ बेचने की अनुमति मांगी गई है। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिका और अमिकस क्यूरी द्वारा दायर नोट—दोनों पर अपना जवाब दाखिल करे।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने सहारा समूह द्वारा बनाए गए अनेक सहकारी समितियों का मुद्दा उठाए जाने पर सहकारिता मंत्रालय को भी मामले में पक्षकार बना दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन समितियों पर प्रस्तावित बिक्री का प्रभाव पड़ सकता है।
अमिकस क्यूरी ने 34 संपत्तियों पर आपत्तियाँ दर्ज कराई
वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे, जो इस मामले में अमिकस क्यूरी हैं, ने अदालत को एक नोट सौंपा। उन्होंने बताया कि उन्हें सहारा समूह द्वारा बेची जाने वाली संपत्तियों को लेकर कई आपत्तियाँ प्राप्त हुई हैं। उन्होंने विशेष रूप से 34 संपत्तियों से संबंधित आपत्तियाँ दाखिल की हैं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट बिक्री या लीज दस्तावेजों की जांच के लिए उपयुक्त मंच नहीं है।
अदालत ने कहा कि “इन दस्तावेजों की जांच ट्रायल कोर्ट या किसी विशेष समिति द्वारा की जा सकती है।”
मुख्य न्यायाधीश गवई ने नफाडे से कहा, “पहले भारत संघ अपना जवाब दाखिल करे, फिर हम इन मसलों को देखेंगे।”
सुनवाई छह सप्ताह बाद
पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सहारा की याचिका और अमिकस क्यूरी के नोट पर अपना जवाब छह सप्ताह के भीतर दाखिल करे, जिसके बाद सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को केंद्र, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और अन्य हितधारकों से सहारा की उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें अदानी समूह को उसकी 88 प्रमुख संपत्तियाँ बेचने की अनुमति मांगी गई है।




