दिल्ली की मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने 2023 की सड़क दुर्घटना में मारे गए युवक आशिफ के परिवार के पक्ष में 18.32 लाख रुपये का मुआवजा तय किया है। अधिकरण ने बीमा कंपनी को पूरी राशि अदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
अध्यक्ष प्रिसाइडिंग ऑफिसर तरुण योगेश के सामने दायर याचिका में आशिफ के परिवार ने बताया कि 9 अक्टूबर 2023 को पंखा रोड के पास एक ट्रक ने उसकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। उसे तुरंत हरिनगर स्थित डीडीयू अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे “ब्रॉट डेड” घोषित कर दिया। पोस्टमॉर्टम में पाया गया कि उसकी मौत भारी कुंद बल से लगी चोटों के कारण हुई, जो सड़क दुर्घटना से मेल खाती हैं।
ट्रिब्यूनल ने नोट किया कि ट्रक चालक और वाहन मालिक ने गवाही के दौरान लापरवाही के आरोपों का खंडन नहीं किया। उनकी गैर-मौजूदगी के चलते अधिकरण ने उनके खिलाफ प्रतिकूल अनुमान (adverse inference) लिया।
अपने आदेश में अधिकरण ने कहा कि मोटर वाहन दुर्घटना के मामलों में चालक की लापरवाही साबित करने का मानदंड “प्रत्याशा के संतुलन” (preponderance of probability) का होता है, न कि आपराधिक मुकदमों में लागू “उचित संदेह से परे” (beyond reasonable doubt)। FIR की मौजूदगी, पुलिस जांच की पूर्णता और अंतिम रिपोर्ट दाखिल होना—ये सभी पहलू चालक की लापरवाही साबित करने के लिए पर्याप्त माने गए।
आशिफ की मां, पिता और तीन बहनों ने मुआवजे की मांग की थी। चूंकि पिता की अपनी स्वतंत्र आय पाई गई, इसलिए उन्हें आश्रित नहीं माना गया, लेकिन अन्य मदों के तहत उन्हें भी मुआवजा प्रदान किया गया।
परिवार मृतक की नौकरी या आय का प्रमाण पेश नहीं कर सका, इसलिए अधिकरण ने न्यूनतम मजदूरी (अकुशल श्रमिक) — जो उत्तर प्रदेश में लागू थी — को आधार बनाकर मृतक की काल्पनिक आय निर्धारित की।
किसी भी वैधानिक बचाव (statutory defence) के अभाव में, दोषी वाहन की बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को पीड़ित परिवार को पूरी राशि चुकाने का निर्देश दिया गया।




