केरल हाईकोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को टालने से किया इंकार

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में होने वाले आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को स्थगित करने से स्पष्ट तौर पर इनकार कर दिया। अदालत ने राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पुनरीक्षण प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति वी. जी. अरुण ने कहा कि इसी तरह की याचिकाएँ अन्य राज्यों से संबंधित मामलों में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं। न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने राज्य सरकार को सलाह दी कि वह इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय से ही राहत मांगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्य सरकार दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

राज्य सरकार का कहना था कि राज्य चुनाव आयोग ने 9 और 11 दिसंबर को स्थानीय निकाय चुनाव निर्धारित किए हैं, जो SIR प्रक्रिया के साथ ही पड़ रहे हैं। सरकार ने बताया कि चुनाव कराने के लिए लगभग 1.76 लाख कर्मचारियों और करीब 68,000 सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता होगी। इसी दौरान SIR प्रक्रिया चलाने के लिए अलग से 25,668 कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी, जिससे प्रशासन पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा और नियमित कार्य प्रभावित होंगे।

वहीं, निर्वाचन आयोग ने याचिका का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि SIR के तहत 55 प्रतिशत गणना कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और पूरी प्रक्रिया 4 दिसंबर तक समाप्त कर दी जाएगी। आयोग ने कहा कि अब सिर्फ मतदाताओं के हस्ताक्षर प्री-फिल्ड फॉर्म पर लेने का काम शेष है, और इस चरण में किसी भी न्यायिक हस्तक्षेप से पूरी प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

इन तर्कों को देखते हुए हाईकोर्ट ने SIR प्रक्रिया को रोकने से इंकार कर दिया और राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से उचित राहत लेने का रास्ता दिखाया।

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