कर्नाटक हाईकोर्ट ने बी. एस. येदियुरप्पा के खिलाफ POCSO केस रद्द करने से किया इंकार; ट्रायल जारी रहेगा

कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज पॉक्सो मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। इससे उनके खिलाफ विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही जारी रहेगी।

जस्टिस एम. आई. अरुण ने 28 फरवरी को विशेष अदालत द्वारा पारित उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कथित अपराध का संज्ञान लेकर येदियुरप्पा को समन जारी किए गए थे। साथ ही, अदालत ने यह निर्देश दिया कि ट्रायल के दौरान उनके निजी रूप से उपस्थित होने पर ज़ोर नहीं दिया जाए। यदि उनकी ओर से छूट का कोई आवेदन दिया जाता है, तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए, जब तक कि अदालत को उनकी उपस्थिति अनिवार्य न लगे।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि येदियुरप्पा ट्रायल कोर्ट में डिस्चार्ज (मुक्ति) के लिए आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

Video thumbnail

यह मामला दूसरी बार संज्ञान के मुद्दे पर हाईकोर्ट पहुंचा है।
7 फरवरी को हाईकोर्ट ने विशेष अदालत का पहला संज्ञान आदेश रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि ट्रायल जज ने मामले पर ठीक से विचार नहीं किया। हालांकि, अदालत ने सीआईडी द्वारा की गई जांच और दायर अंतिम रिपोर्ट को वैध माना।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने नामांकन खारिज करने को चुनौती देने वाली पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की याचिका खारिज कर दी

इसके बाद विशेष अदालत ने 28 फरवरी को दोबारा संज्ञान लिया था, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था।

शिकायत पीड़िता की मां ने दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फरवरी 2024 में एक मुलाकात के दौरान येदियुरप्पा ने उनकी 17 वर्षीय बेटी के साथ यौन उत्पीड़न किया।
यह मामला 14 मार्च 2024 को सादाशिवनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ और बाद में जांच सीआईडी को सौंप दी गई। एजेंसी ने एफआईआर को दोबारा दर्ज किया और अंततः पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

येदियुरप्पा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. वी. नागेश ने कहा कि मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और शिकायत अविश्वसनीय है।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता और उनकी बेटी फरवरी 2024 में कई बार बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर से मिली थीं, लेकिन उन्होंने 14 मार्च तक कोई आरोप नहीं लगाया।
नागेश ने यह भी कहा कि घटना के समय मौजूद गवाहों ने बताया है कि कोई अनुचित घटना नहीं हुई।

READ ALSO  पीड़िता की मृत्यु से पहले दहेज की मांग से संबंधित क्रूरता या उत्पीड़न का प्रदर्शन करने में विफलता भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113-बी के तहत दहेज हत्या की धारणा को खारिज कर देती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

उन्होंने तर्क दिया कि विशेष अदालत ने बिना सामग्री का सही मूल्यांकन किए संज्ञान ले लिया और हाईकोर्ट से पूरी कार्यवाही रद्द करने की मांग की।

विशेष लोक अभियोजक प्रो. रवीवर्मा कुमार ने याचिका का विरोध किया और कहा कि विशेष अदालत ने पीड़िता के बयान सहित उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के बाद ही संज्ञान लिया।
उन्होंने कहा कि 28 फरवरी का आदेश कारणयुक्त है और न्यायिक दृष्टि से सही है।

READ ALSO  दिल्ली दंगे साजिश केस में उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक टाली

हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस चरण पर कार्यवाही रद्द नहीं की जा सकती। अब मामला विशेष पॉक्सो अदालत में आगे बढ़ेगा।
येदियुरप्पा कानून के अनुसार ट्रायल कोर्ट में डिस्चार्ज के लिए अलग से आवेदन कर सकते हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles