दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को JNTL कंज़्यूमर हेल्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को अपने इलेक्ट्रोलाइट पेय ORSL का बचा हुआ स्टॉक बेचने या निपटाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। इस पेय को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने “ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट (ORS)” के नाम से बेचने पर रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह मामला उत्पाद के हानिकारक होने का नहीं, बल्कि भ्रामक लेबलिंग (misbranding) का है, जो जनता को भ्रमित कर सकती है।
पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते। कृपया स्टॉक वापस बुलाइए। यह जनस्वास्थ्य का मामला है।”
अदालत ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जब किसी बच्चे को दस्त या डिहाइड्रेशन होता है, तो लोग सामान्यतः ORS खरीदते हैं। ऐसे में, ORSL जैसे नाम और “electrolytes” जैसे शब्दों का इस्तेमाल लोगों को भ्रमित कर सकता है।
पीठ ने टिप्पणी की, “आपके उत्पाद में भी इलेक्ट्रोलाइट लिखा है, इससे ग़लतफ़हमी हो सकती है। यह उस व्यक्ति के लिए नुकसानदायक है जो अस्वस्थ है और जिसे असली ORS की ज़रूरत है।”
न्यायालय ने कहा कि असली ORS ने गरीब देशों में बाल मृत्यु दर घटाने में बड़ी भूमिका निभाई है। “ORS ने हमारे जैसे गरीब देश में एक क्रांति लाई है। बच्चों की मौतों की दर घट गई है, और इस तरह की भ्रामक ब्रांडिंग उस उपलब्धि को कमजोर करती है।”
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और संदीप सेठी, जो कंपनी की ओर से पेश हुए, ने कहा कि ORSL पिछले 20 वर्षों से वैध लाइसेंस के तहत बेचा जा रहा है और इसका नाम कंट्रोलर ऑफ पेटेंट्स एंड ट्रेडमार्क्स में पंजीकृत है। उन्होंने बताया कि निर्माण बंद कर दिया गया है, लेकिन खुदरा बाजार में उपलब्ध स्टॉक को बेचने के लिए कुछ समय दिया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने कभी यह दावा नहीं किया कि उसका पेय विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुमोदित ORS फॉर्मूले पर आधारित है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और एफएसएसएआई के वकील आशीष दीक्षित ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा कि यह “जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला” है।
हाईकोर्ट ने केंद्र और एफएसएसएआई को नोटिस जारी करते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर के लिए तय की।
इससे पहले एकल न्यायाधीश ने डॉ. रेड्डीज़ लैबोरेट्रीज़ लिमिटेड की याचिका खारिज की थी, जिसमें उसने अपने उत्पाद Rebalanz VITORS पर “ORS” लेबल लगाने पर एफएसएसएआई के प्रतिबंध को चुनौती दी थी। अदालत ने उस समय कहा था कि यह प्रतिबंध “गंभीर जनस्वास्थ्य कारणों से प्रेरित नियामक कदम” है।
एफएसएसएआई ने 14 अक्टूबर को आदेश जारी कर सभी खाद्य एवं पेय कंपनियों को निर्देश दिया था कि जब तक उनके उत्पाद WHO के मानक ORS फॉर्मूले के अनुरूप न हों, वे “ORS” शब्द का उपयोग ब्रांडिंग या लेबलिंग में नहीं कर सकते।
नियामक संस्था ने कहा था कि शर्करा या इलेक्ट्रोलाइट पेय पर “ORS” शब्द का प्रयोग उपभोक्ताओं, विशेषकर बच्चों, को भ्रमित करता है और खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 का उल्लंघन है।
ORS विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित एक चिकित्सा घोल है, जो डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की स्थिति में उपयोग किया जाता है।




