तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के. चंद्रशेखर राव, पूर्व मंत्री टी. हरीश राव और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार को कोई प्रतिकूल कार्रवाई करने से रोकने वाले अपने अंतरिम आदेश की अवधि जनवरी 2026 तक बढ़ा दी।
मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जी. एम. मोइनुद्दीन की खंडपीठ ने यह आदेश तब दिया जब केसीआर, हरीश राव, पूर्व मुख्य सचिव शैलेन्द्र कुमार जोशी और आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल द्वारा दायर याचिकाओं का बैच सुनवाई के लिए आया। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा।
मामले की अगली सुनवाई जनवरी में तय करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दी गई पूर्व अंतरिम सुरक्षा को भी बढ़ा दिया, जिसके तहत राज्य सरकार को उनके खिलाफ किसी भी दंडात्मक या प्रतिकूल कार्रवाई से रोका गया है।
यह अंतरिम राहत उन याचिकाओं से जुड़ी है जिनमें सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सी. घोष की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को चुनौती दी गई है। यह आयोग पिछली बीआरएस सरकार के कार्यकाल में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के निर्माण में कथित वित्तीय और प्रक्रिया संबंधी अनियमितताओं की जांच के लिए गठित किया गया था।
इस साल अगस्त में आयोग की रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की गई थी। उस पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने घोषणा की थी कि मामले की आगे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जाएगी।
न्यायमूर्ति घोष आयोग की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर को परियोजना के निर्माण और प्रबंधन में कथित अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। रिपोर्ट में उनके भतीजे और तत्कालीन सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव की भूमिका पर भी आपत्ति दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट को चुनौती देते हुए केसीआर, हरीश राव और अन्य ने हाईकोर्ट का रुख किया था, यह आरोप लगाते हुए कि आयोग की प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं और निष्कर्ष राजनीतिक प्रेरणा से प्रभावित हैं।
हाईकोर्ट ने पहले ही याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी थी, जिससे राज्य सरकार को आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किसी भी कार्रवाई से रोका गया था।
ताजा आदेश के साथ यह अंतरिम सुरक्षा अब जनवरी 2026 में अगली सुनवाई तक प्रभावी रहेगी।




