वकील पल्लवी पुरकायस्थ की निर्मम हत्या के 13 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सुरक्षा गार्ड साजिद मुगल पठान की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने उसका अपराध संदेह से परे साबित किया है। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और मृतका के पिता द्वारा दी गई उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिनमें आरोपी को मौत की सजा देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि “अभियोजन पक्ष ने आरोपी का अपराध सभी उचित संदेहों से परे साबित कर दिया है” और सत्र न्यायालय का फैसला “तर्कसंगत और साक्ष्यों पर आधारित” है।
अदालत ने कहा, “मानव संभावना के हर पैमाने पर यह स्थापित होता है कि मृतका की हत्या साजिद ने ही की है।”
पीठ ने कहा कि साक्ष्यों की कड़ी पूरी तरह आरोपी की ओर इशारा करती है और कोई ऐसा तथ्य नहीं है जो उसकी बेगुनाही की ओर संकेत करे।
अदालत ने यह भी माना कि आरोपी द्वारा अपने सहकर्मी को दिया गया बाह्य-न्यायिक इकबालिया बयान विश्वसनीय है और इससे अभियोजन का मामला और मजबूत होता है।
न्यायालय ने यह भी पाया कि आरोपी का मकसद मृतका के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा थी। पीठ ने कहा, “हमें यह उद्देश्य पर्याप्त रूप से सिद्ध प्रतीत होता है। यह आरोपी की दोषसिद्धि को स्थापित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है।”
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी को अपने प्राकृतिक जीवन के अंत तक जेल में ही रहना होगा और उसे पैरोल या फरलो का लाभ नहीं दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि उसने 2016 में पैरोल पर छूटने के बाद फरार होकर गंभीर दुराचरण किया था और 2023 में दोबारा पकड़ा गया।
पीठ ने कहा, “न्याय के हित में यही उचित है कि आरोपी को आजीवन कारावास भुगतना पड़े, जिसका अर्थ है कि वह अपने प्राकृतिक जीवन के अंत तक जेल में रहेगा।”
पल्लवी पुरकायस्थ, जो फिल्मकार फरहान अख्तर की कंपनी एक्सेल एंटरटेनमेंट प्रा. लि. में कानूनी सलाहकार थीं और दिल्ली के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की बेटी थीं, 9 अगस्त 2012 को मुंबई के वडाला स्थित अपने फ्लैट में मृत पाई गई थीं।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी सुरक्षा गार्ड साजिद मुगल पठान ने पहले फ्लैट की बिजली काटी ताकि पल्लवी को बाहर आने का बहाना मिले। बिजली बहाल कराने के बाद उसने चोरी से चाबी हासिल की और रात में फ्लैट में घुसकर पल्लवी से छेड़छाड़ की कोशिश की। जब उसने विरोध किया, तो आरोपी ने उसकी गर्दन पर वार कर उसकी हत्या कर दी।
अगले दिन पुलिस ने पठान को मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया, जब वह गुजरात होते हुए जम्मू-कश्मीर भागने की कोशिश कर रहा था।
जुलाई 2015 में सत्र न्यायालय ने आरोपी को हत्या, छेड़छाड़ और घर में अनधिकृत प्रवेश के अपराधों में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने यह कहते हुए मौत की सजा देने से इंकार कर दिया था कि मामला “दुर्लभतम में दुर्लभ” श्रेणी में नहीं आता।
हाईकोर्ट ने सोमवार को वही निष्कर्ष दोहराते हुए कहा कि अभियोजन ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की ऐसी संपूर्ण कड़ी प्रस्तुत की है जिससे आरोपी का अपराध पूरी तरह साबित होता है और किसी प्रकार का संदेह नहीं रह जाता।
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ 13 वर्ष पुराने इस बहुचर्चित मामले का न्यायिक अध्याय लगभग समाप्त हो गया है। आरोपी साजिद मुगल पठान अब अपने जीवन के शेष वर्षों तक जेल में रहेगा और उसे किसी भी प्रकार की रिहाई या पैरोल का लाभ नहीं मिलेगा।




