जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, कांगड़ा (धर्मशाला) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि थाई लायन एयर ने एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान के दौरान “सेवा में गंभीर कमी” और “बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन” किया है। एयरलाइन ने छह घंटे की उड़ान में दो नाबालिग बच्चों को पीने का पानी सिर्फ इसलिए नहीं दिया क्योंकि उनके माता-पिता के पास भुगतान करने के लिए थाई भाट (थाईलैंड की मुद्रा) नहीं थे।
आयोग, जिसमें श्री हिमांशु मिश्रा (अध्यक्ष) और सुश्री आरती सूद (सदस्य) शामिल थे, ने तरुण कुमार चौरसिया द्वारा दायर शिकायत को स्वीकार कर लिया। आयोग ने एयरलाइन को हुई परेशानी के लिए 1,00,000/- रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, साथ ही अन्य नुकसानों की प्रतिपूर्ति और मुकदमेबाजी की लागत का भुगतान करने का भी आदेश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
शिकायतकर्ता तरुण कुमार चौरसिया ने अपने परिवार के साथ थाई लायन एयर (विपक्षी पक्ष संख्या 1) से अमृतसर (ATQ) से बैंकॉक डॉन मुएंग (DMK) आने-जाने के लिए हवाई टिकट बुक किए थे। यह यात्रा, PNR SMZTFW (उड़ान संख्या SL0214) के तहत, 13 जनवरी 2025 से 20 जनवरी 2025 के लिए निर्धारित थी।
शिकायत के अनुसार, यह बुकिंग एक पूर्व-नियोजित यात्रा कार्यक्रम का हिस्सा थी, जिसमें बैंकॉक और पटाया, थाईलैंड में पहले से बुक किए गए होटल और आंतरिक यात्रा व्यवस्थाएं शामिल थीं।
हालांकि, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि थाई लायन एयर ने “मेरी सहमति के बिना” उड़ानों को 13-20 जनवरी 2025 से “एकतरफा पुनर्निर्धारित” करके 14-21 जनवरी 2025 कर दिया। इस पुनर्निर्धारण के कारण परिवार के यात्रा कार्यक्रम में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिससे उन्हें INR 2,527/- की गैर-वापसी योग्य (non-refundable) होटल बुकिंग सहित वित्तीय नुकसान और पेशेवर असुविधा हुई।
शिकायतकर्ता के आरोप और एकतरफा कार्यवाही
शिकायतकर्ता ने दो मुख्य आधारों पर सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता शिकायत (संख्या-164/2025) दायर की। पहला, उड़ानों का एकतरफा पुनर्निर्धारण था।
दूसरा आरोप अमृतसर से बैंकॉक की यात्रा के दौरान हुई एक घटना से संबंधित था। शिकायतकर्ता ने कहा कि एयरलाइन ने उन्हें और उनके नाबालिग बच्चों (उम्र 10 और 15) को “पीने का पानी देने से इनकार कर दिया”। चालक दल ने कथित तौर पर इस आधार पर पानी देने से इनकार कर दिया कि “पानी की खरीद के लिए केवल थाई भाट ही स्वीकार किए जाते हैं।”
आयोग द्वारा विपक्षी पक्ष संख्या 1 (थाई लायन एयर) और विपक्षी पक्ष संख्या 2 (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) दोनों को नोटिस जारी किए गए थे। फैसले में कहा गया है कि वैध तामील (valid service) के बावजूद, “विपक्षी पक्ष(क्षों) की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और विपक्षी पक्ष(क्षों) के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही की गई।”
आयोग का विश्लेषण और निष्कर्ष
आयोग ने शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर मामले की एकतरफा सुनवाई की, जिसमें उनका हलफनामा (Ext.CW-1) और दस्तावेज़ (अनुलग्नक C-1 से C-7) शामिल थे।
फैसले में अनुलग्नक C-4, एक “यात्री टिप्पणी फॉर्म” (passenger comment form) को प्रमुख सबूत के रूप में उजागर किया गया। आयोग ने पाया कि “बोर्ड पर मौजूद चालक दल की सदस्य सुनिसा नाम ने यात्री श्री तरुण द्वारा दिए गए बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।” इस बयान ने पुष्टि की कि “उड़ान में नियमित पानी के लिए कोई मुफ्त प्रावधान नहीं है” और शिकायतकर्ता को “थाई भाट नहीं होने के आधार पर पानी देने से मना कर दिया गया था।”
आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता के 10 और 15 साल के दो बच्चे “प्यासे थे” और उन्हें थाई मुद्रा उपलब्ध न होने के कारण भोजन भी नहीं दिया गया।
चूंकि एयरलाइन ने “शिकायत का मुकाबला करने की जहमत नहीं उठाई और एकतरफा रहना चुना,” आयोग ने पाया कि “शिकायतकर्ता द्वारा पेश किए गए सबूत अपुष्ट और निर्विरोध (unrebutted and unchallenged) बने हुए हैं।” आयोग ने आगे कहा, “शिकायतकर्ता द्वारा पेश किए गए ठोस और विश्वसनीय सबूतों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है।”
अपने अंतिम निष्कर्ष में, आयोग ने माना कि “विपक्षी पक्ष संख्या 1 ने शिकायतकर्ता के नाबालिग बच्चों को छह घंटे की लंबी यात्रा में प्यासा रखकर सेवा में कमी की है।”
एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में, आयोग ने कहा: “विपक्षी पक्ष संख्या 1 के चालक दल ने न केवल सेवा में कमी है, बल्कि इस मामले में बुनियादी मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया है।”
इसके अलावा, आयोग ने यह भी पाया कि “शिकायतकर्ता की पूर्व सहमति के बिना उड़ान का पुनर्निर्धारण भी सेवा में कमी है।”
अंतिम निर्णय
यह पाते हुए कि “शिकायत स्वीकार किए जाने योग्य है,” आयोग ने विपक्षी पक्ष संख्या 1 (थाई लायन एयर) को निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
- शिकायतकर्ता को 2,527/- रुपये (गैर-वापसी योग्य होटल के लिए) की राशि, शिकायत की तारीख (26.04.2025) से उसकी वसूली तक 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित प्रतिपूर्ति (reimburse) करे।
- शिकायतकर्ता को “1,00,000/- रुपये की राशि” मुआवजे के तौर पर भुगतान करे।
- मुकदमेबाजी की लागत का भुगतान करे, जिसे “10,000/- रुपये” निर्धारित किया गया।




