सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार से यह सवाल किया कि राज्य की औद्योगिक विकास एजेंसी रीको (RIICO) ने जोजड़ी नदी की सफाई से जुड़े राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश को क्यों चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “रीको अपील में क्यों है? ये आदेश तो प्रदूषण साफ करने के लिए हैं, और रीको उसे ही चुनौती दे रहा है।” अदालत जोजड़ी नदी के प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने राज्य सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि क्या रीको, पाली नगर परिषद, बालोतरा नगर परिषद और जोधपुर नगर निगम अब भी NGT के फरवरी 2022 के आदेश के खिलाफ दायर अपनी अपीलें जारी रखना चाहते हैं। यह आदेश लूणी, बंडी और जोजड़ी नदियों में प्रदूषण से जुड़े मामले में पारित किया गया था।
राजस्थान सरकार के वकील ने बताया कि NGT ने रीको पर 2 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया था। उन्होंने अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा ताकि प्रस्तावित कार्ययोजना और वर्तमान स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जा सके। पीठ ने समय देते हुए आदेश में दर्ज किया कि राज्य के वकील को “यह निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है कि क्या रीको, पाली नगर परिषद, जोधपुर नगर निगम और बालोतरा नगर परिषद अपनी अपीलें जारी रखना चाहते हैं या नहीं।” मामला अब 17 नवंबर को सुना जाएगा।
राज्य के वकील ने यह भी कहा कि 2022 के आदेश के बाद कई प्रगति हुई है, इसलिए राज्य एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगा। अदालत ने इसकी अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने निर्देश दिया था कि जोजड़ी नदी प्रदूषण से जुड़े NGT आदेश के खिलाफ लंबित सभी अपीलों को उसी स्वतः संज्ञान मामले के साथ एक साथ सुना जाएगा, जिसका शीर्षक है — “In Re: 2 million lives at risk, contamination in Jojari river, Rajasthan.”
अदालत ने 16 सितंबर को इस पर स्वतः संज्ञान लिया था कि टेक्सटाइल और अन्य कारखानों से निकलने वाले औद्योगिक अपशिष्ट नदी में गिराए जा रहे हैं, जिससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं। अदालत ने कहा था कि इस कारण पीने का पानी न तो इंसानों के लिए सुरक्षित है, न ही पशुओं के लिए, और इसका असर पूरे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है।




