तमिलनाडु में नियमित डीजीपी की नियुक्ति में देरी पर अवमानना याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से उस अवमानना याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें राज्य सरकार पर अदालत के पहले दिए गए आदेशों का पालन न करने और राज्य में नियमित पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति न करने का आरोप लगाया गया है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर इस पर जवाब दाखिल करे। यह याचिका किशोर कृष्णास्वामी ने दायर की है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की अनुशंसाओं में से किसी एक नाम को चुनकर “तुरंत नियमित डीजीपी की नियुक्ति करे”।

भूषण ने कहा कि राज्य सरकार ने उस समय अदालत को बताया था कि 29 अगस्त को तीन नामों का पैनल UPSC को सौंपा गया है, लेकिन आदेश के दो महीने से अधिक बीत जाने के बावजूद कोई नियमित नियुक्ति नहीं की गई। उन्होंने कहा, “आदेश 8 सितंबर को पारित हुआ था और आज 7 नवंबर है, लेकिन अब तक राज्य एक कार्यवाहक डीजीपी के साथ काम चला रहा है। अभी तक नियमित डीजीपी की नियुक्ति नहीं हुई है।”

READ ALSO  कर्नाटक हाई कोर्ट ने ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को असंवैधानिक घोषित किया-जानिए विस्तार से

अवमानना याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार ने एक “कार्यवाहक डीजीपी” की नियुक्ति कर जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। यह सीधा उल्लंघन है उन दिशा-निर्देशों का जो अदालत ने प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में 22 सितंबर 2006 और 3 जुलाई 2018 को दिए थे।

याचिका में कहा गया है कि “कार्यवाहक डीजीपी की संकल्पना कानून में अज्ञात है” और 31 अगस्त 2025 को आईपीएस अधिकारी जी. वेंकटारमन की अस्थायी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के प्रत्यक्ष उल्लंघन में की गई है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि पर जनहित याचिका खारिज करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी

याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार को पहले से मालूम था कि पूर्व डीजीपी का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है, फिर भी उसने समय रहते उपयुक्त उम्मीदवार की नियुक्ति नहीं की। याचिका में कहा गया है, “रिक्ति के 57 दिन बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने डीजीपी पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं की और बिना कारण यथास्थिति बनाए रखी है।”

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कार्यवाहक डीजीपी को “वर्तमान राजनीतिक दल की सुविधा और राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर चुना गया” है ताकि मई 2026 में प्रस्तावित तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।

इसमें कहा गया है कि कार्यवाहक डीजीपी “वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व का प्रतिध्वनि कक्ष बनकर कार्य कर रहे हैं” और पुलिस प्रमुख के रूप में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रूप से अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे।

READ ALSO  5 दिनों के भीतर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति वापस लेने की मांग को किसी भी आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया है, “यह प्रकाश सिंह मामले में दिए गए उन आदेशों की भावना के विपरीत है, जिनका उद्देश्य पुलिस बल को राजनीतिक दबावों से मुक्त रखना और डीजीपी जैसे उच्च पदों पर योग्यता आधारित, स्थायी एवं स्वतंत्र नियुक्तियों को सुनिश्चित करना था।”

सुप्रीम कोर्ट ने अब तमिलनाडु सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। उसके बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

गौरतलब है कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने झारखंड में डीजीपी की नियुक्ति से जुड़ी एक अवमानना याचिका सुनने से यह कहते हुए इनकार किया था कि अदालत की अवमानना संबंधी अधिकारिता “राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता सुलझाने के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती।”

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles