सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल के 91 वर्षीय पिता पुष्कराज सभरवाल को यह कहते हुए ढांढस बंधाया कि उनके बेटे को हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, “आपको अपने ऊपर बोझ नहीं लेना चाहिए। पायलट की कोई गलती नहीं थी। यह एक दुर्घटना थी। प्रारंभिक रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई संकेत नहीं है।”
पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को नोटिस जारी किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन, जो पायलट के पिता की ओर से पेश हुए, ने बताया कि वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक खबर में पायलट को दोषी ठहराने जैसा संकेत दिया गया था। इस पर पीठ ने कहा, “यह एक निंदनीय रिपोर्टिंग थी, जो केवल भारत को बदनाम करने के लिए की गई थी।”
कोर्ट ने विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (AAIB) की 12 जुलाई की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि पायलट जिम्मेदार था।
पीठ ने कहा, “AAIB की जांच का उद्देश्य किसी को दोष देना नहीं बल्कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के उपाय सुझाना है। आवश्यकता पड़ी तो हम स्पष्ट कर देंगे कि पायलट को दोष नहीं दिया जा सकता।”
मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को अन्य लंबित याचिकाओं के साथ होगी।
पुष्कराज सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दुर्घटना की “निष्पक्ष, पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत” जांच की मांग की है, जिसकी निगरानी एक पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की जाए।
यह याचिका 10 अक्टूबर को एपी एंड जे चैंबर्स के माध्यम से दाखिल की गई थी और इसमें नागर विमानन मंत्रालय, DGCA, और AAIB को पक्षकार बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि “यदि जांच अधूरी या पूर्वाग्रहपूर्ण रही तो यह न केवल भविष्य के यात्रियों की जान को खतरे में डालेगी बल्कि अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन होगी।”
यह दुर्भाग्यपूर्ण विमान अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुआ था, लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान ने बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से टकरा कर भीषण आग पकड़ ली।
इस हादसे में 229 यात्री, 12 चालक दल के सदस्य, 19 ज़मीनी नागरिक तथा दोनों पायलट — कैप्टन सुमीत सभरवाल और सह-पायलट कैप्टन क्लाइव कुंदर — की मौत हो गई। याचिका में कहा गया है कि इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर (ELT) भी सक्रिय नहीं हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल वृद्ध पिता के लिए सांत्वना का संदेश है बल्कि यह भी संकेत देती है कि अदालत इस भीषण विमान दुर्घटना की स्वतंत्र और गहन जांच सुनिश्चित करने के पक्ष में गंभीरता से विचार कर रही है।




