दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि मामले और उन्हें जारी किए गए सम्मन को रद्द कर दिया है। यह मामला वर्ष 2016 में एक टीवी कार्यक्रम के दौरान की गई कथित टिप्पणियों से जुड़ा था।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने न केवल गोस्वामी के खिलाफ दर्ज शिकायत को खारिज किया, बल्कि टीवी चैनल के दो पूर्व अधिकारियों — श्रीजीत रामकांत मिश्रा और समीर जैन — को भी राहत दी। अदालत ने उनके खिलाफ जारी सम्मन भी रद्द कर दिए। विस्तृत आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
यह मामला फरवरी 2016 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) विवाद से जुड़े एक टीवी कार्यक्रम से जुड़ा है। उस दौरान पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में हिंसा हुई थी, जब छात्र नेता कन्हैया कुमार को पेश किया जा रहा था।
एडवोकेट विक्रम सिंह चौहान ने शिकायत में कहा था कि 19 फरवरी 2016 को प्रसारित कार्यक्रम में अर्णब गोस्वामी ने उनके खिलाफ “आधारहीन और अपमानजनक” आरोप लगाए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यक्रम में उनके खिलाफ बदनामी फैलाने और पेशेवर छवि खराब करने की मंशा से झूठे आरोप लगाए गए।
ट्रायल कोर्ट ने पहले कहा था कि गोस्वामी और अन्य के कथन चौहान की साख को नुकसान पहुंचाने वाले हैं और इस आधार पर उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत समन किया था। इन धाराओं में दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
हाईकोर्ट में दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अदालत ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। इसके साथ ही, अर्णब गोस्वामी और दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ करीब नौ साल से लंबित यह मामला समाप्त हो गया।
पटियाला हाउस कोर्ट में हुई हिंसा के दौरान कई वकीलों द्वारा पत्रकारों और छात्रों से मारपीट के दृश्य कैमरे में कैद हुए थे, जिसने उस समय देशभर में व्यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न की थी।




