एक ई-कॉमर्स वेबसाइट ‘Lawkart.in’ वकीलों के नेकबैंड बेचने को लेकर गंभीर विवादों में घिर गई है। वेबसाइट पर इन नेकबैंड्स को प्रमोट करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), सुप्रीम कोर्ट के पूर्व और वर्तमान जजों, और कई नामी वरिष्ठ वकीलों के नाम से कथित रिव्यू छापे गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें कुछ ऐसे कानूनी दिग्गजों के नाम भी शामिल हैं, जिनका निधन हो चुका है।
इस पूरे मामले का खुलासा पुणे के एक वकील अंकुर जहागीरदार द्वारा सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के बाद हुआ।
20 रुपये का नेकबैंड 499 रुपये में
वकील अंकुर जहागीरदार ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में सबसे पहले इस उत्पाद की कीमत पर सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि वेबसाइट पर एक एडवोकेट नेकबैंड की मूल कीमत 1,799 रुपये बताई गई है, जिसे ‘सेल’ के तहत 499 रुपये में बेचा जा रहा है। जहागीरदार ने लिखा कि यह 499 रुपये की कीमत भी बहुत ज़्यादा है, क्योंकि यही नेकबैंड कोर्ट परिसर में महज़ 20 रुपये के आसपास आसानी से मिल जाता है।
रिव्यू सेक्शन में “मजेदार हिस्सा”
जहागीरदार ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “लेकिन मज़ेदार हिस्सा यह नहीं है। मज़ेदार हिस्सा इस नेकबैंड पर पब्लिश किए गए रिव्यू हैं।” उन्होंने बताया कि रिव्यू करने वालों की सूची में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस रोहिंटन नरीमन जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।
सभी रिव्यू एक ही स्क्रिप्ट पर आधारित
इन रिव्यू को देखने से पता चलता है कि ये सभी लगभग “एक ही स्क्रिप्ट” पर आधारित हैं और इनके प्रामाणिक होने की संभावना न के बराबर है।
उदाहरण के लिए, पूर्व CJI जस्टिस यूयू ललित के नाम से एक रिव्यू कहता है, “प्रोफेशनल डॉटेड डिज़ाइन और आरामदायक मटीरियल पसंद आया। बैंड शुरू में थोड़ा टाइट था लेकिन कोर्ट में उचित एडवोकेट ड्रेस मानकों को बनाए रखने के लिए कुल मिलाकर प्रभावशाली है।”
इसी तरह, पूर्व CJI जस्टिस एसए बोबडे के नाम से लिखा है, “वकील की ड्रेस कोड आवश्यकताओं के लिए बिल्कुल सही। यह बैंड मेरी कानूनी पोशाक में प्रामाणिकता जोड़ता है और डॉटेड पैटर्न लंबी सुनवाई के दौरान आरामदायक है। गुणवत्ता बेहतरीन है।”
पूर्व CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम से कथित तौर पर दो रिव्यू हैं, जिनमें से एक में कहा गया है कि नेकबैंड “अच्छी तरह से पैक होकर आया और बिल्कुल पेशेवर कानूनी एक्सेसरी जैसा दिखता है।”
वर्तमान CJI से लेकर मृत वकीलों तक के नाम
फर्जी रिव्यू की इस सूची में भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और अगले सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत के नाम भी शामिल हैं। इनके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों जैसे जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस दीपक गुप्ता, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस मदन लोकुर के नाम भी हैं।
इस फर्जीवाड़े की सबसे बेतुकी बात यह है कि वेबसाइट पर वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन, सोली सोराबजी और राम जेठमलानी के नाम से भी रिव्यू मौजूद हैं, जो तीन से पांच महीने पुराने बताए गए हैं। जबकि इन सभी कानूनी दिग्गजों का निधन काफी पहले हो चुका है।
सूची यहीं नहीं रुकती; इसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम और इंदिरा जयसिंह जैसे बड़े वकीलों के नाम भी हैं।
यहां तक कि शशि थरूर, गुलाम नबी आज़ाद, सचिन पायलट और उमर अब्दुल्ला जैसे कई राजनेताओं के नाम से भी कथित रिव्यू छापे गए हैं।




