राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को निर्देश दिया है कि वह गुरुग्राम के सुखराली गांव स्थित एक ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के विस्तार के लिए दी गई पर्यावरण स्वीकृति (Environmental Clearance) की समीक्षा करे।
यह निर्देश उस समय आया जब अधिकरण उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उक्त प्रोजेक्ट की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने हरियाणा राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) द्वारा दी गई पर्यावरण स्वीकृति को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण ने परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव — जैसे भूजल दोहन, कचरा प्रबंधन और वायु गुणवत्ता — का पर्याप्त मूल्यांकन किए बिना ही स्वीकृति दे दी।
एनजीटी की पीठ, जिसमें अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल शामिल थे, ने कहा कि वर्ष 2021 में एक तीन-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी ताकि परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव की दोबारा जांच की जा सके और उसकी रिपोर्ट SEIAA को पुनर्विचार के लिए सौंपी जा सके।
हालांकि, पीठ ने यह भी नोट किया कि SEIAA का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और राज्य में नई प्राधिकरण का गठन अभी नहीं हुआ है।
अधिकरण ने स्पष्ट किया, “यदि राज्य में SEIAA का गठन नहीं हुआ है, तो ऐसी स्थिति में यह कार्य पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना के तहत पर्यावरण मंत्रालय द्वारा किया जाना चाहिए।”
पीठ ने मंत्रालय को अपने 31 मई 2021 के आदेश के अनुपालन में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि मंत्रालय यह निर्णय ले कि पर्यावरण स्वीकृति को बरकरार रखा जाए, रद्द किया जाए या अतिरिक्त शर्तों के साथ संशोधित किया जाए।
अधिकरण ने कहा, “हम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आदेश देते हैं कि वह 31 मई 2021 के हमारे आदेश के अनुरूप पर्यावरण स्वीकृति की दोबारा समीक्षा करे और यह तय करे कि स्वीकृति दी जाए या नहीं, अथवा उसमें अतिरिक्त शर्तें लगाई जाएं।”
एनजीटी ने मंत्रालय को यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी 2026 को निर्धारित की है।




