अदालतों को मध्यस्थता प्रक्रिया में अवरोध नहीं, सहयोगी बनना चाहिए: न्यायमूर्ति मनमोहन ने ₹10 करोड़ सीमा पर पुनर्विचार की अपील की

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनमोहन ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को विवादों के वैकल्पिक समाधान (Alternate Dispute Resolution) के रूप में मध्यस्थता (Arbitration) को प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि उसके मार्ग में बाधा बनना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से हाल में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी उस परिपत्र पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, जिसमें ₹10 करोड़ से अधिक के विवादों को मध्यस्थता में भेजने पर रोक लगाई गई है।

इंडियन डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन सेंटर (IDRC) द्वारा आयोजित ‘फोर्थ आर्बिट्रेशन इन इंडिया कॉन्क्लेव 2025’ में बोलते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “अदालतों को मध्यस्थता का समर्थन करना चाहिए, न कि उसके रास्ते में रुकावट बनना चाहिए।”

वित्त मंत्रालय के इस परिपत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “एक मुद्दा मैं उठाना चाहूंगा, क्योंकि कानून मंत्री यहां मौजूद हैं — वित्त मंत्रालय ने एक नया परिपत्र जारी किया है जिसके अनुसार ₹10 करोड़ से अधिक के विवाद मध्यस्थता के लिए नहीं भेजे जाएंगे। मैं अनुरोध करूंगा कि मंत्री इसे दोबारा देखें। मैं सरकार के दृष्टिकोण या निर्णय को दोष नहीं देता, परंतु इसे पुनः विचार की आवश्यकता है।”

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उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि देश में संस्थागत मध्यस्थता (Institutional Arbitration) को बढ़ावा देने के लिए एड-हॉक मध्यस्थता (Ad-hoc Arbitration) को कुछ समय के लिए प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “संस्थागत मध्यस्थता विवादों के शीघ्र और निष्पक्ष समाधान की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।”

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उन्होंने डिव्यांश एच. राठी, अधिवक्ता एवं IDRC के सचिव, की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे मध्यस्थता के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, “हमें IDRC जैसी और संस्थाओं की आवश्यकता है ताकि सभी के लिए सुलभ और समयबद्ध न्याय का वादा केवल एक आकांक्षा न रहकर वास्तविकता बन सके।”

इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी संबोधन दिया।

IDRC के बारे में बताते हुए राठी ने कहा, “इंडियन डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन सेंटर एक गैर-लाभकारी संस्थागत मध्यस्थता केंद्र है, जिसे इंडियन डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया है। यह वाणिज्य मंत्रालय, नीति आयोग और विधि एवं न्याय मंत्रालय में पंजीकृत एवं अनुमोदित संस्था है।”

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उन्होंने बताया कि IDRC ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से मध्यस्थता और सुलह के जरिए विवादों के निपटारे के लिए अत्याधुनिक संस्थागत व्यवस्था प्रदान करता है। इसकी सेवाओं का उपयोग राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC), एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक समेत कई प्रतिष्ठित संस्थाएं कर रही हैं।

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