आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या मामले में पीएफआई सदस्य को केरल हाईकोर्ट से जमानत

 केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्य रफीक एम.एस. को जमानत दे दी, जो 2022 में आरएसएस के पूर्व नेता एस.के. श्रीनिवासन की हत्या के मामले में आरोपी है।

जस्टिस राजा विजयाराघवन वी और जस्टिस के.वी. जयकुमार की पीठ ने रफीक की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए एनआईए की विशेष अदालत के 13 मार्च और 29 अप्रैल के आदेशों — जिनमें उसकी हिरासत अवधि बढ़ाई गई थी और जमानत याचिका खारिज की गई थी — को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी पहले ही 10 महीने की न्यायिक हिरासत में रह चुका है और “निकट भविष्य में मुकदमे के शुरू या समाप्त होने की कोई संभावना नहीं दिखती।”

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पीठ ने कहा:

“भले ही कार्यवाही शुरू हो जाए, गवाहों की अत्यधिक संख्या और दस्तावेज़ी एवं भौतिक साक्ष्यों की भारी मात्रा को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मुकदमा कई वर्षों तक लंबित रहेगा।”

अदालत ने यह भी नोट किया कि इस मामले में कुल 71 आरोपियों में से 50 को पहले ही जमानत मिल चुकी है, कुछ फरार हैं और कुछ की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वर्तमान में केवल सात आरोपी, जिनमें रफीक भी शामिल है, न्यायिक हिरासत में हैं।

अदालत ने रफीक को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और दो सक्षम जमानतदारों के साथ रिहा करने का आदेश दिया।
उसे मुकदमे की अवधि तक एर्नाकुलम जिले की सीमा से बाहर न जाने, अपने निवास स्थान की सूचना जांच अधिकारी को देने और हर बुधवार तथा शनिवार सुबह जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।

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साथ ही अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी केवल एक मोबाइल नंबर का उपयोग करेगा, जिसे वह जांच अधिकारी को बताएगा। रफीक को सबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को डराने-प्रभावित करने से भी रोका गया है।

आरएसएस के पूर्व जिला नेता और पदाधिकारी एस.के. श्रीनिवासन की 16 अप्रैल 2022 को पलक्कड़ के मेलामुरी क्षेत्र में उनकी मोटरसाइकिल की दुकान पर छह हमलावरों के समूह ने हत्या कर दी थी। यह हत्या उस घटना के 24 घंटे से भी कम समय बाद हुई थी, जब पास के गांव में पीएफआई नेता सुबैर की कथित तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा हत्या की गई थी।

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प्रारंभ में इस मामले में 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था, बाद में संख्या बढ़ाकर 71 कर दी गई। आरोपपत्र जुलाई और दिसंबर 2022 में दो चरणों में दाखिल किए गए थे। दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी थी।

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