दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को समाचार एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) की कड़ी आलोचना की, क्योंकि उसने कॉपीराइट विवाद का मामला अदालत में लंबित रहते हुए सीधे यूट्यूब से संपर्क कर प्रतिद्वंदी डाइनामाइट न्यूज़ नेटवर्क का चैनल ब्लॉक करा दिया था।
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने एएनआई की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने एकल न्यायाधीश के 21 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में यूट्यूब को डाइनामाइट न्यूज़ का चैनल अनब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था।
खंडपीठ ने कहा, “हम इस मामले में अपीलकर्ता (एएनआई) की कार्यवाही के तौर-तरीके पर अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हैं।” अदालत ने टिप्पणी की कि एएनआई ने जिस प्रकार से अदालत के आदेश के बाद भी यूट्यूब से संपर्क किया, वह आचरण “निंदा योग्य (deserves to be deprecated)” है।
एएनआई ने कॉपीराइट उल्लंघन का मामला दायर किया था, आरोप लगाते हुए कि डाइनामाइट न्यूज़ ने उसकी कई वीडियो क्लिप बिना अनुमति अपलोड की थीं।
21 मार्च 2024 को एकल न्यायाधीश के समक्ष डाइनामाइट न्यूज़ ने कहा कि नौ वीडियो गलती से एक स्टाफ सदस्य द्वारा अपलोड कर दी गई थीं, और उसने उन्हें हटाने की बात कही। साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में एएनआई की सामग्री का उपयोग नहीं किया जाएगा।
इस पर अदालत ने यूट्यूब को चैनल अनब्लॉक करने का निर्देश दिया था।
अक्टूबर में मामला फिर उठा जब डाइनामाइट न्यूज़ ने अदालत को बताया कि एएनआई ने दोबारा यूट्यूब से संपर्क कर कुछ “पुराने यूआरएल” को आधार बनाते हुए कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया और चैनल ब्लॉक कराने की मांग की।
डाइनामाइट न्यूज़ ने कहा कि एएनआई ने अदालत को बिना सूचित किए यह कदम उठाकर आदेश की अवहेलना की है।
इसके बाद एकल न्यायाधीश ने फिर से यूट्यूब को चैनल अनब्लॉक करने का निर्देश दिया, जिसके खिलाफ एएनआई ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की।
खंडपीठ ने पाया कि एएनआई ने सीधे यूट्यूब से संपर्क करने से पहले एकल न्यायाधीश से कोई अनुमति नहीं ली, जबकि मामला अब भी अदालत में लंबित था।
अदालत ने कहा, “जिस तरीके से एएनआई ने 21 मार्च के आदेश को दरकिनार करते हुए यूट्यूब से सीधे संपर्क किया और डाइनामाइट न्यूज़ का चैनल दोबारा ब्लॉक कराया, वह निंदनीय है।”
बेंच ने आगे कहा कि विवादित वीडियो बाद में यूट्यूब पर फिर से बहाल कर दिए गए थे और एएनआई की अपील “पूरी तरह से अनुचित” है, इसलिए इसे प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज किया जाता है।
एएनआई के वकील ने अनुरोध किया कि अदालत की टिप्पणियां सिर्फ इस मामले तक सीमित रखी जाएं ताकि उन्हें अन्य कॉपीराइट मामलों में उद्धृत न किया जा सके।
लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि वह “अन्य अदालतों के हाथ नहीं बांध सकती।”
साथ ही बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में किसी तीसरे पक्ष द्वारा कोई नया उल्लंघन किया जाता है, तो वह एक स्वतंत्र मुद्दा होगा, जिस पर अदालत पहले से कोई आदेश जारी नहीं कर सकती।




