मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को छिंदवाड़ा के डॉक्टर प्रवीन सोनी की ज़मानत अर्जी पर सुनवाई टाल दी। डॉक्टर सोनी को 24 बच्चों की मौत से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है। बताया गया कि ये मौतें प्रतिबंधित की जा चुकी कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ़’ के सेवन के बाद हुई थीं।
मामला न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था, लेकिन समयाभाव के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। डॉक्टर सोनी के वकील पवन शुक्ला ने बताया कि याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है।
छिंदवाड़ा जिले में 22 और बेतूल जिले में 2 बच्चों की मौत कथित तौर पर ‘कोल्ड्रिफ़’ कफ सिरप पीने के बाद हो गई थी। मृतक बच्चे अधिकतर पांच साल से कम उम्र के थे और किडनी फेल होने के लक्षण पाए गए।
सरकारी जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ़ सिरप के एक सैंपल में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकोल मौजूद था, जो औद्योगिक सॉल्वेंट में पाया जाने वाला ज़हरीला पदार्थ है। यह मात्रा तय सीमा 0.1% से कई गुना अधिक थी।
छिंदवाड़ा में जिन अधिकांश बच्चों की मौत हुई थी, उन्हें यह सिरप डॉक्टर सोनी ने ही लिखा था।
बच्चों की मौत के बाद परासिया थाना पुलिस ने दवा बनाने वाली कंपनी स्रे़सन फार्मा, उसके मालिक जी. रंगनाथन (जिन्हें पिछले हफ्ते तमिलनाडु से गिरफ्तार किया गया), डॉक्टर सोनी और अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
इसके बाद डॉक्टर सोनी को कथित लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ज़िला अदालत ने गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए उनकी ज़मानत अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
डॉक्टर सोनी ने अपनी याचिका में कहा कि पुलिस ने उन्हें मेडिकल बोर्ड से पूर्व अनुमति लिए बिना गिरफ्तार किया, जो कि पंजीकृत डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने यह दवा अच्छे विश्वास में लिखी थी क्योंकि इसे सरकार से मान्यता प्राप्त थी। उन्होंने यह भी कहा कि दवा के निर्माण या बिक्री में उनका कोई रोल नहीं था और इसका लाइसेंस सक्षम सरकारी प्राधिकरणों द्वारा जारी किया गया था।




