मुआवजा न देने पर बेगूसराय DM और SP के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की सिफारिश, कोर्ट ने रवैये को ‘अवज्ञाकारी’ बताया

बेगूसराय, बिहार – जिला न्यायाधीश-III, बेगूसराय की अदालत ने जिले के जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की है। पीठासीन न्यायाधीश ब्रजेश कुमार सिंह ने यह कदम पुलिस वाहन से हुई दुर्घटना में मृतक के बेटे को मुआवजा देने के 2023 के एक फैसले का पालन करने में अधिकारियों की विफलता के कारण उठाया है। अदालत ने देरी के लिए प्रशासन द्वारा दिए गए “आगामी चुनाव” के बहाने को “कानूनी रूप से अस्वीकार्य” बताते हुए कड़ी फटकार लगाई है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला 18 अगस्त, 2023 के एक अधिनिर्णय (award) से उपजा है, जिसमें अदालत ने बेगूसराय के एसपी और डीएम को याचिकाकर्ता मनीष कुमार को ₹11,61,318 की मूल राशि और ₹1,15,819 का 6% ब्याज देने का आदेश दिया था। यह मुआवजा श्री कुमार के अभिभावक की पुलिस वाहन (पंजीकरण संख्या- BR9A1368) से हुई दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के कारण स्वीकृत किया गया था।

अदालत के फैसले में यह उल्लेख किया गया है कि एसपी जिला स्तर पर पुलिस वाहन के संरक्षक हैं, और डीएम/कलेक्टर जिला स्तर पर राज्य सरकार के प्रतिनिधि हैं। अदालत ने यह भुगतान फैसले के एक महीने के भीतर करने का निर्देश दिया था। हालांकि, आदेश के अनुसार, “दो (2) वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, उक्त राशि का भुगतान नहीं किया गया।” इसके कारण याचिकाकर्ता को अदालत के फैसले को लागू कराने के लिए एक निष्पादन कार्यवाही (execution proceeding) दायर करनी पड़ी।

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अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि “असंख्य अनुरोधों और आदेशों” के बावजूद, अधिकारी “पूरी तरह से अविचलित” बने रहे, जो “एक गरीब याचिकाकर्ता के प्रति बेगूसराय के एसपी और डीएम दोनों की ओर से सहानुभूति की पूरी कमी” को दर्शाता है।

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राज्य का तर्क

14 अक्टूबर, 2025 को हुई सुनवाई के दौरान, राज्य के वकील, यानी अतिरिक्त सरकारी वकील (AGP) ने यह दलील दी कि “नवंबर 2025 में होने वाले बिहार विधान सभा चुनाव के कारण” अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया जा सका।

न्यायालय का विश्लेषण और टिप्पणियाँ

अदालत ने राज्य के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। न्यायाधीश ब्रजेश कुमार सिंह ने टिप्पणी की कि अधिनिर्णय 2023 में पारित किया गया था और 2024 के लोकसभा चुनावों और 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों का भी उल्लेख किया।

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अदालत ने कहा, “एक लोकतंत्र में, कोई न कोई चुनाव हमेशा होता ही रहेगा। इसलिए, चुनावों का लंबित होना अदालत के आदेशों का पालन न करने का कानूनी रूप से टिकाऊ आधार नहीं हो सकता।”

प्रशासन की प्राथमिकताओं की तीखी आलोचना करते हुए, आदेश में लिखा गया, “…हर साल चुनाव कराने के लिए सरकारी खजाने में हजारों करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, लेकिन एक गरीब याचिकाकर्ता के विधिवत न्यायसंगत दावे का भुगतान करने के लिए मामूली पैसा नहीं है। यदि इस रवैये को जारी रहने दिया गया, तो लोग निश्चित रूप से लोकतंत्र और न्यायिक प्रक्रिया में अपना विश्वास खो देंगे।” अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि “लोकतांत्रिक व्यवस्था लोगों के लाभ के लिए मौजूद है, न कि लोग व्यवस्था के लिए।”

फैसले में आगे प्रतिवादियों के “सुस्त रवैये” और “संपूर्ण सरकारी तंत्र की पूरी विफलता” का उल्लेख किया गया, और उन्हें व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया गया।

अदालत ने यह पाया कि विभिन्न तिथियों (10.07.2025, 21.08.2025, 24.09.2025, और 07.10.2025 सहित) पर पारित उसके विशिष्ट आदेशों का उल्लंघन किया गया, और निष्कर्ष निकाला कि दोनों अधिकारियों ने “न्यायालय की अवमानना” की है।

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अदालत का निर्णय

अदालत ने अपने कार्यालय लिपिक (O.C) को बेगूसराय के एसपी श्री मनीष और डीएम श्री तुषार सिंगला के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने हेतु एक विविध मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है।

आदेश में ओ.सी. को “संबंधित फाइल के उद्धरण माननीय हाईकोर्ट, पटना को भेजने का निर्देश दिया गया है ताकि एसपी, बेगूसराय और डीएम, बेगूसराय के खिलाफ अवमानना कार्यवाही आयोजित करने की सिफारिश की जा सके।”

डीएम और एसपी को जिला अदालत में अपना जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है, जिसमें विफल रहने पर फाइलें उनके जवाब के बिना ही पटना हाईकोर्ट को भेज दी जाएंगी। मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर, 2025 को नियत की गई है।

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