उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के रजिस्ट्रार संदीप कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को “निराधार” करार देते हुए खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए याचिकाकर्ता अजय किशोर बहुगुणा, निवासी टिहरी, को निर्देश दिया कि वे यह राशि छह सप्ताह के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करें।
बहुगुणा ने आरोप लगाया था कि रजिस्ट्रार संदीप कुमार के पास इस पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यताएं और न्यूनतम पांच वर्ष का प्रशासनिक अनुभव नहीं है, जो कि नियुक्ति के लिए अनिवार्य है।

संस्थान ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कुमार की नियुक्ति बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मंजूरी से की गई थी और यह पूरी तरह से नियमों के अनुरूप है। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि कुमार की नियुक्ति वर्ष 2019 में हुई थी और छह वर्ष बाद इस नियुक्ति पर सवाल उठाना अनुचित है।
पीठ ने पाया कि याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि नियुक्ति को इतने लंबे समय बाद चुनौती देना याचिकाकर्ता के मामले को और कमजोर करता है। अदालत ने याचिका को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए ₹5 लाख का जुर्माना लगाया ताकि निराधार मुकदमों पर रोक लग सके।