गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को निर्देश दिया है कि जिन करदाताओं को आयकर कानून के तहत टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करनी होती है, उनके लिए आयकर रिटर्न (ITR) भरने की अंतिम तिथि एक माह बढ़ाकर 31 अक्टूबर से 30 नवंबर 2025 कर दी जाए।
जस्टिस भार्गव डी. कारिया और जस्टिस प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ ने सोमवार को आदेश पारित करते हुए CBDT को आयकर अधिनियम की धारा 119 के तहत परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया। यह आदेश वित्त वर्ष 2024–25 (आकलन वर्ष 2025–26) के लिए लागू होगा।
“हम CBDT को निर्देश देते हैं कि वह आयकर अधिनियम की धारा 119 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए ऑडिट योग्य करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 तक बढ़ाने हेतु परिपत्र जारी करे,” अदालत ने अपने लिखित आदेश में कहा।

यह आदेश आयकर बार एसोसिएशन द्वारा दायर उस याचिका पर आया, जिसमें वित्त वर्ष 2024–25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की “निर्धारित तिथि” (Specified Date) और ITR भरने की “अंतिम तिथि” (Due Date) दोनों को बढ़ाने की मांग की गई थी।
CBDT ने 25 सितंबर को टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की निर्धारित तिथि 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी थी। लेकिन ITR दाखिल करने की समयसीमा 31 अक्टूबर की ही रखी गई, जिसे चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आयकर अधिनियम की धारा 44AB के स्पष्टीकरण (ii) के अनुसार, “निर्धारित तिथि” रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि से एक माह पहले होनी चाहिए। इसलिए, जब CBDT ने ऑडिट रिपोर्ट की तारीख बढ़ाई, तो उसे स्वतः ही ITR भरने की समयसीमा भी 30 नवंबर तक बढ़ानी चाहिए थी।
CBDT ने अदालत को बताया कि वह सामान्यतः टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की तिथि और ITR की अंतिम तिथि बढ़ाने के लिए दो अलग-अलग परिपत्र जारी करता है। उसने कहा कि वित्त अधिनियम, 2020 में किए गए संशोधन के बाद से ऑडिट योग्य करदाताओं के लिए दोनों तिथियों के बीच एक माह का अंतर अनिवार्य किया गया है और यह प्रक्रिया लगातार अपनाई जा रही है।
बोर्ड ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष भी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की तिथि सितंबर में और ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि अक्टूबर में अलग-अलग परिपत्रों के माध्यम से बढ़ाई गई थी।
पीठ ने कहा कि संशोधित वित्त अधिनियम के अनुसार टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की निर्धारित तिथि और ITR की अंतिम तिथि के बीच एक माह का अंतर अनिवार्य है। अदालत ने स्पष्ट किया कि CBDT को “निर्धारित तिथि” बढ़ाने के साथ ही ITR की तिथि भी बढ़ानी चाहिए थी।
“ऐसा प्रतीत होता है कि CBDT की प्रवृत्ति अंतिम तिथि के बिलकुल निकट जाकर, ई-फाइलिंग पोर्टल की निगरानी करने के बाद रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाने की होती है ताकि अंतिम दिन की भीड़ को टाला जा सके,” अदालत ने कहा।
“हालांकि इस मामले में, आयकर अधिनियम की धारा 44AB के स्पष्टीकरण (ii) के तहत निर्धारित तिथि के विस्तार के परिणामस्वरूप ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि भी बढ़ाई जानी चाहिए थी,” अदालत ने जोड़ा।
अदालत के निर्देश के बाद अब CBDT से उम्मीद है कि वह परिपत्र जारी कर ऑडिट योग्य करदाताओं के लिए ITR भरने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 तक औपचारिक रूप से बढ़ाएगा। इससे कर पेशेवरों और व्यवसायों को आकलन वर्ष 2025–26 की अनुपालना (compliance) पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा।