मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार और सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) को दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति (prosecution sanction) प्राप्त करने में देरी के लिए कड़ी फटकार लगाई। यह मामला पूर्व एआईएडीएमके मंत्री एस. पी. वेलुमणि के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने यह अंतरिम आदेश अरप्पोर इयक्कम के जयाराम वेंकतेसन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचिका में अदालत के पूर्व निर्देशों का पालन न करने का आरोप लगाया गया था।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 के तहत अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय सीमा का पालन अनिवार्य है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है। लेकिन केंद्र सरकार से दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ स्वीकृति अब तक प्राप्त नहीं की जा सकी है।

अदालत ने कहा, “यह न्यायालय पाता है कि प्राधिकारियों ने इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का अक्षरशः और भावार्थ में पालन नहीं किया है और कोई स्पष्टीकरण भी तभी दिया गया जब अवमानना याचिका दायर की गई।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि प्राधिकारियों को समय विस्तार के लिए एक याचिका दायर करनी चाहिए थी, जिसमें स्वीकृति में देरी के कारणों को बताया जाता।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा, “यह न्यायालय prima facie यह राय रखता है कि उत्तरदाता इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने को लेकर गंभीर नहीं हैं।” उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि मामला एक पूर्व मंत्री और वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से जुड़ा है, इसलिए अदालत को और अधिक गंभीरता दिखानी होगी।
अदालत ने अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए अवमानना याचिका को लंबित रखने का निर्णय लिया और मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर 2025 के लिए निर्धारित की।