सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एशियन पेंट्स की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें कंपनी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा उसके खिलाफ जांच के आदेश को चुनौती दी थी। आयोग ने कंपनी पर सजावटी पेंट (decorative paints) बाजार में प्रभुत्वपूर्ण स्थिति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए जांच के आदेश दिए थे।
न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, जिसने पहले ही सीसीआई की जांच को बरकरार रखा था। जब सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर विचार करने से असहमति जताई, तो एशियन पेंट्स ने अपनी याचिका वापस ले ली और मामला खारिज कर दिया गया।
सीसीआई का आदेश ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड (बिड़ला पेंट्स डिवीजन) की शिकायत पर आया था। ग्रासिम ने फरवरी 2024 में ‘बिड़ला ओपस पेंट्स’ ब्रांड के तहत सजावटी पेंट के क्षेत्र में प्रवेश किया और आरोप लगाया कि एशियन पेंट्स ने प्रतिस्पर्धा को बाधित करने और नए खिलाड़ियों के प्रवेश को रोकने के लिए बहिष्करणकारी रणनीतियां अपनाईं।

आयोग ने प्रारंभिक जांच में पाया कि एशियन पेंट्स के खिलाफ प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4(2)(a)(i), 4(2)(c) और 4(2)(d) के उल्लंघन का प्राथमिक दृष्टया मामला (prima facie case) बनता है। धारा 4 के तहत किसी भी कंपनी द्वारा बाजार में प्रभुत्वपूर्ण स्थिति का दुरुपयोग प्रतिबंधित है।
आयोग के आदेश के अनुसार, एशियन पेंट्स ने कथित तौर पर अपने डीलरों को प्रतिस्पर्धी कंपनियों, विशेषकर ग्रासिम, के साथ व्यापार करने से रोका और एक्सक्लूसिव डीलिंग की शर्तें लागू कीं, जो डीलरों पर अनुचित शर्तें थोपने जैसा है।
इसके अलावा, कंपनी ने कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं, गोदाम मालिकों, सी एंड एफ एजेंटों और परिवहनकर्ताओं पर दबाव डाला कि वे प्रतिस्पर्धियों के साथ काम न करें। आयोग ने माना कि इस तरह की रणनीतियां बाजार में नए खिलाड़ियों के प्रवेश में बाधाएं खड़ी करती हैं और प्रतिस्पर्धा को आंशिक रूप से सीमित करती हैं।
सीसीआई ने अपने महानिदेशक (DG) को इस मामले की विस्तृत जांच कर 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके आदेश में की गई टिप्पणियां प्रारंभिक हैं और जांच के निष्कर्षों को प्रभावित नहीं करेंगी।