सारधा चिट फंड घोटाला: आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ CBI की याचिका पर 17 अक्टूबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट इस सप्ताह के अंत में सारधा चिट फंड घोटाले में पश्चिम बंगाल कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की याचिका पर सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की जोरदार दलीलों पर संज्ञान लेते हुए मामले को 17 अक्टूबर (शुक्रवार) के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सीबीआई की याचिका को अन्य लंबित याचिकाओं, जिनमें एक अवमानना याचिका भी शामिल है, के साथ मिलाकर सुना जाए ताकि पूरे मामले की समग्र रूप से सुनवाई हो सके।

पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख तय कर दी।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने सीबीआई से यह पूछते हुए नाराज़गी जताई कि एजेंसी ने इतने वर्षों में कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की।

“हम इस मामले को लंबित क्यों रखें? आपने इतने सालों में कुछ नहीं किया,” सीजेआई ने कहा।

READ ALSO  Supreme Court to Examine Plea for Regulating Political Parties, Seeks Responses from Centre, EC, Law Commission

कुमार के वकील ने बताया कि उन्हें 1 अक्टूबर 2019 को अग्रिम जमानत दी गई थी और पिछले छह साल में सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए एक बार भी तलब नहीं किया है।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान कोलकाता में सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के आवास को “गुंडों ने घेर लिया था” और उन्हें अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मदद के लिए पुकारना पड़ा था। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि दीवाली की छुट्टियों के बाद अन्य लंबित याचिकाओं को भी एक साथ लिया जाए।

राजीव कुमार, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) के प्रमुख थे जिसने सारधा चिट फंड घोटाले की जांच शुरू की थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले समेत अन्य चिट फंड मामलों की जांच 2014 में सीबीआई को सौंप दी।

यह घोटाला वर्ष 2013 में उस समय सामने आया जब कुमार बिधाननगर पुलिस आयुक्त थे। सारधा ग्रुप पर लाखों निवेशकों को लगभग ₹2,500 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है। कंपनी ने ऊंचे रिटर्न का लालच देकर लोगों से धन जुटाया था।

READ ALSO  कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक 7 मई तक बढ़ी: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश

जनवरी 2019 में यह मामला उस समय बड़ा राजनीतिक टकराव बन गया जब सीबीआई की एक टीम पूछताछ के लिए कुमार के आधिकारिक आवास पर पहुंची। स्थानीय पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों को हिरासत में ले लिया और एजेंसी को लौटना पड़ा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुमार के समर्थन में धरने पर बैठ गईं।

बाद में 29 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर नोटिस जारी कर कुमार से जवाब मांगा। अदालत ने कहा था कि एजेंसी को यह बताना होगा कि कुमार की हिरासत क्यों जरूरी है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कुमार को अग्रिम जमानत देते हुए कहा था कि यह मामला हिरासत में पूछताछ का उपयुक्त मामला नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया था कि यदि कुमार को सीबीआई गिरफ्तार करती है तो उन्हें दो जमानतदारों के साथ ₹50,000 के निजी मुचलके पर तुरंत रिहा किया जाए।
हाईकोर्ट ने कुमार को जांच में सहयोग करने और सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए 48 घंटे पहले दिए गए नोटिस पर पेश होने का आदेश दिया था।

READ ALSO  बीड सरपंच हत्या: आरोपी सुदर्शन घुले को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

कुमार बाद में राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) बने और वर्तमान में सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं।

सुप्रीम कोर्ट अब 17 अक्टूबर को सीबीआई की याचिका और अन्य संबंधित मामलों पर एक साथ सुनवाई करेगा। यह मामला पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक की जांच से जुड़ा है, जो अब छह साल से लंबित है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles