दिल्ली की एक विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, और उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी होटल घोटाले मामले में भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप तय कर दिए हैं। तीनों के द्वारा खुद को निर्दोष बताए जाने के बाद अब इस मामले में मुकदमे का रास्ता साफ हो गया है।
सोमवार को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुए यादव परिवार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया। उनकी दलील के बाद, न्यायाधीश ने आधिकारिक तौर पर मामले को सुनवाई के लिए तय कर दिया। परिवार की यह पेशी पिछले महीने अदालत द्वारा सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश के बाद हुई।
यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान भारतीय रेलवे के दो बीएनआर होटलों, जो पुरी और रांची में स्थित हैं, को एक निजी फर्म सुजाता होटल्स को पट्टे पर देने में हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है।

सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, 2004 और 2014 के बीच एक आपराधिक साजिश रची गई थी। एजेंसी का दावा है कि होटलों के संचालन और रखरखाव के लिए निविदा प्रक्रिया में जानबूझकर पटना स्थित सुजाता होटल्स को फायदा पहुंचाने के लिए हेरफेर किया गया था। जांचकर्ताओं का आरोप है कि ठेका सुनिश्चित करने के लिए निविदा की शर्तों में गलत तरीके से बदलाव किए गए थे।
जांच में कई अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं को भी शामिल किया गया है। सीबीआई ने आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक वी.के. अस्थाना और आर.के. गोयल के साथ-साथ सुजाता होटल्स के निदेशक विजय कोचर और विनय कोचर को भी आरोपी बनाया है। चार्जशीट में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी (जिसे अब लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है) और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को भी आरोपी फर्मों के रूप में नामित किया गया है।