इलाहाबाद हाईकोर्ट ने “गुंडों के ज़रिए लोन रिकवरी” पर सख्त रुख अपनाया — उत्पीड़न मामले में प्राइवेट बैंक को जारी किया डाक द्वारा समन (Dasti Summons)

लोन रिकवरी के नाम पर निजी वित्तीय संस्थानों द्वारा की जा रही मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम कदम उठाया है। कोर्ट ने एक निजी बैंक द्वारा कथित रूप से “गुंडों के ज़रिए लोन वसूली” के मामले में स्वतः संज्ञान (suo motu cognizance) लेते हुए उसके अधिकारियों को अदालत में पेश होने के लिए डाक द्वारा समन (Dasti Summons) जारी करने का आदेश दिया है।

मामला

मुख्य न्यायाधीश सॉमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति इंद्रजीत शुक्ला की खंडपीठ ने यह आदेश रिट याचिका संख्या 33209/2025 (मोहम्मद ओवैस बनाम राज्य उत्तर प्रदेश व अन्य) की सुनवाई के दौरान पारित किया। वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एफ.ए. नक़वी, अधिवक्ता सैयद रफ़त अली के साथ याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित थे।

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याचिकाकर्ता, जो एक सूक्ष्म उद्यम (micro-enterprise) चलाते हैं, ने आरोप लगाया कि एक निजी वित्तीय संस्था (प्रतिवादी संख्या 5) के रिकवरी एजेंट लगातार उन्हें परेशान कर रहे हैं, जबकि सभी ईएमआई समय पर जमा की जा रही थीं और लोन खाता एनपीए (Non-Performing Asset) घोषित नहीं किया गया था। याचिका में यह भी कहा गया कि लोन के साथ समूह बीमा पॉलिसी ली गई थी, जो किसी साझेदार की मृत्यु की स्थिति में बकाया राशि को कवर करती है, लेकिन बैंक ने उसे नज़रअंदाज़ कर जबरन वसूली की कोशिश शुरू कर दी।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

वरिष्ठ अधिवक्ता नक़वी ने सुप्रीम कोर्ट के Manager ICICI Bank Ltd. बनाम प्रकाश कौर व अन्य (AIR 2007 SC 1349) के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला देते हुए तर्क दिया कि कोई भी वित्तीय संस्था मसल पावर या गैर-कानूनी तरीकों से वसूली नहीं कर सकती। ऐसे कदम अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं और आरबीआई के फेयर प्रैक्टिस कोड के भी विपरीत हैं।

कोर्ट की टिप्पणी और आदेश

बेंच ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह जांचना आवश्यक है कि “क्या समाज को संचालित करने वाला कानून का शासन (rule of law) संबंधित बैंक द्वारा पालन किया जा रहा है या नहीं।”

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इसके अनुसार, अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी संख्या 5 को 10 अक्टूबर 2025 तक डाक द्वारा समन (Dasti Summons) के माध्यम से नोटिस सर्व किया जाए और अनुपालन की रिपोर्ट 13 अक्टूबर 2025 तक दाखिल की जाए। अगली सुनवाई की तारीख 15 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि बैंक उपस्थित नहीं होता है तो स्थगन प्रार्थना (stay application) पर अगली तिथि को विचार किया जा सकता है।

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